साधारणीकरण : अर्थ, परिभाषा एवं स्वरूप

साधारणीकरण के सिद्धांत की चर्चा रस-निष्पत्ति के संदर्भ में ही की जाती है | आचार्य भरतमुनि के रस सूत्र – ‘विभावानुभावव्यभिचारिसंयोगादरसनिष्पत्ति:’ – की व्याख्या करते हुए भट्टनायक ने इस सिद्धांत का प्रवर्त्तन किया | पाश्चात्य विचारकों टी एस इलियट आदि ने भी इस सिद्धांत के प्रति अपनी आस्था व्यक्त की है | विद्वान प्रायः यह … Read more

हरियाणवी नाट्य साहित्य ( Haryanvi Natya Sahitya )

हरियाणवी नाट्य साहित्य हरियाणवी उपन्यास और कहानी साहित्य की भांति बहुत अधिक विस्तृत नहीं है | हरियाणवी भाषा में दृश्य नाटक तथा श्रव्य नाटक दोनों प्रकार के नाटक लिखे गए हैं परंतु हरियाणवी नाटकों की संख्या अधिक नहीं है | हरियाणवी भाषा में रचित केवल कुछ नाटक ही ऐसे हैं जो कतिपय विद्वानों द्वारा बताए … Read more

हरियाणवी कहानी साहित्य ( Haryanvi Kahani Sahitya )

कहानी गद्य साहित्य की एक ऐसी विधा है जिसमें किसी व्यक्ति के संपूर्ण जीवन का चित्रण न कर उसके जीवन के किसी अंग विशेष का चित्रण किया जाता है | कहानी कहना मनुष्य का स्वभाव है | सुख-दुख, आशा-निराशा, मिलन-विरह आदि का नाम ही जीवन है | मनुष्य के जीवन की यही खट्टी-मीठी बातें आकर्षक … Read more

मैथिलीशरण गुप्त कृत ‘यशोधरा’ में गीत-योजना

‘यशोधरा‘ मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित एक प्रगीतात्मक प्रबंध काव्य है जिसमें सुंदर गीत-योजना के माध्यम से यशोधरा की विरह-भावना का मार्मिक चित्रण किया गया है | मैथिलीशरण गुप्त कृत ‘यशोधरा’ में गीत-योजना की समीक्षा करने से पूर्व गीति काव्य के स्वरूप पर विचार करना आवश्यक एवं प्रासंगिक होगा | गीतिकाव्य का अर्थ एवं स्वरूप गीतिकाव्य … Read more

हरियाणवी उपन्यास साहित्य ( Haryanvi Upnyas Sahitya )

आधुनिक साहित्य में गद्य विधाओं का प्रचुर मात्रा में विकास हुआ है | संभवत: इसीलिए विद्वानों ने आधुनिक युग को गद्य युग की संज्ञा से अभिहित किया है | उपन्यास भी गद्य साहित्य की एक महत्वपूर्ण विधा है | हरियाणवी उपन्यास साहित्य की परंपरा को जानने से पूर्व उपन्यास के अर्थ को जानना आवश्यक होगा … Read more

मैथिलीशरण गुप्त कृत ‘यशोधरा’ के आधार पर यशोधरा का चरित्र-चित्रण

‘यशोधरा‘ मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित एक प्रसिद्ध खंडकाव्य है जिसमें गौतम बुद्ध की पत्नी यशोधरा की विरह-वेदना का मार्मिक वर्णन किया गया है | गुप्त जी ने अपनी इस रचना के माध्यम से यशोधरा के प्रेम व त्याग को पाठकों के समक्ष लाकर उसके प्रति उस सम्मानित दृष्टिकोण को विकसित करने की चेष्टा की है … Read more

‘यशोधरा’ काव्य में विरह-वर्णन ( ‘Yashodhara’ Kavya Mein Virah Varnan )

‘यशोधरा’ राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित एक प्रसिद्ध प्रबंध काव्य है जिसमें काव्य-रूप के दृष्टिकोण से महाकाव्य के अनेक तत्व मिलते हैं परंतु फिर भी अधिकांश विद्वान इसे खंडकाव्य के रूप में स्वीकार करते हैं | ‘यशोधरा’ काव्य में विरह-वर्णन सहज एवं स्वाभाविक रूप से हुआ है | साहित्यशास्त्र के अनुसार विरह की दस अवस्थाएँ … Read more

‘यशोधरा’ का कथासार

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित ‘यशोधरा’ की रचना सन 1933 में हुई | ‘यशोधरा’ का उद्देश्य गौतम बुद्ध की पत्नी यशोधरा के हार्दिक दुख की मार्मिक अभिव्यक्ति है | यशोधरा की हृदयगत दु:खद भावनाओं की अभिव्यक्ति के निमित्त गुप्त जी ने प्रस्तुत काव्य-ग्रंथ के कथानक में अपनी कल्पना से अनेक नवीन एवं मौलिक परिवर्तन किए … Read more

मैथिलीशरण गुप्त के काव्य में नारी-चित्रण

मैथिलीशरण गुप्त यद्यपि राष्ट्रीय चेतना के लिए जाने जाते हैं लेकिन फिर भी उनके साहित्य में अन्य काव्यगत प्रवृतियां व विषय-वस्तु का वर्णन भी प्रभावी व व्यापक रूप में हुआ है | उन्होंने इतिहास की उन नारी पात्रों को उच्च शिखर पर बिठाया जिनके लिए हमारा इतिहास प्रायः मौन रहा है | उर्मिला, यशोधरा और … Read more

मैथिलीशरण गुप्त की राष्ट्रीय चेतना ( Maithilisharan Gupt Ki Rashtriya Chetna )

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त द्विवेदी युग के सर्वाधिक लोकप्रिय कवि हैं | उनके काव्य में द्विवेदी युगीन समाज सुधार की भावना, राष्ट्रीय भावना, जन-जागरण की प्रवृत्ति एवं युगबोध विद्यमान है | मैथिलीशरण गुप्त की राष्ट्रीय चेतना न केवल द्विवेदी युग बल्कि सम्पूर्ण हिंदी साहित्य में महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है | संभवतः इसी कारण उन्हें राष्ट्रकवि की … Read more

‘पच्चीस चौका डेढ़ सौ’ कहानी का मूल भाव

साहित्य की विभिन्न विधाओं में सामाजिक असमानता के विरुद्ध आवाज उठाई गई है परंतु यह तत्काल संभव नहीं हुआ | प्रारंभ में केवल उच्च घरानों से संबंधित विषय-वस्तु को ही साहित्य में स्थान दिया गया | तत्पश्चात निम्न वर्गीय कुछ पात्रों का समावेश हुआ परंतु वे पात्र कभी प्रमुख पात्र नहीं बन पाए | महाभारत … Read more

संत काव्य-परंपरा एवं प्रवृत्तियां /विशेषताएं

हिंदी साहित्य का इतिहास मुख्य तौर पर तीन भागों में बांटा जा सकता है : आदिकाल, मध्यकाल और आधुनिक काल | संत काव्य-परंपरा हिंदी साहित्य के भक्तिकाल की निर्गुण काव्यधारा से सम्बद्ध है | हिंदी साहित्येतिहास के काल विभाजन और नामकरण को निम्नलिखित आरेख के माध्यम से समझा जा सकता है : – निर्गुण काव्य धारा … Read more

ईदगाह : मुंशी प्रेमचंद ( Idgah : Munshi Premchand )

रमजान के पूरे तीस रोजों के बाद आज ईद आई है | कितना मनोहर, कितना सुहावना प्रभात है | वृक्षों पर कुछ अजीब हरियाली है, खेतों में कुछ अजीब रौनक है, आसमान पर कुछ अजीब लालिमा है |आज का सूर्य देखो, कितना प्यारा, कितना शीतल है, मानो संसार को ईद की बधाई दे रहा है … Read more

‘पच्चीस चौका डेढ़ सौ’ कहानी की तात्विक समीक्षा ( Pachchis Chauka Dedh Sau Kahani Ki Tatvik Samiksha )

‘पच्चीस चौका डेढ़ सौ’ कहानी ओमप्रकाश वाल्मीकि द्वारा रचित एक अति चर्चित कहानी है | प्रस्तुत कहानी में लेखक ने जाति-पाति और शोषण को मुख्य रूप से आधार बनाकर निर्धन लोगों के जीवन की त्रासदी को व्यक्त किया है | प्रस्तुत कहानी में दिखाया गया है कि किस प्रकार से सूदखोर पूंजीपति असहाय और अशिक्षित … Read more

वस्तुनिष्ठ प्रश्न ( हिंदी ), बी ए – छठा सेमेस्टर ( Vastunishth Prashn, Hindi, BA – 6th Semester )

◼️ ‘आशा का अंत’ निबंध के लेखक का नाम बताइए | उत्तर – बालमुकुंद गुप्त | 🔹 बालमुकुंद गुप्त का जन्म कब और कहां हुआ? उत्तर – बालमुकुंद गुप्त का जन्म 14 नवंबर, 1865 को हरियाणा के झज्जर जिले के गुड़ियानी गांव में हुआ | 🔹 बालमुकुंद गुप्त की मृत्यु कब हुई? उत्तर – सन … Read more

error: Content is proteced protected !!