हरियाणवी कविता : परिचय एवं प्रवृतियां

हरियाणवी कविता की परंपरा ( Haryanvi Kavita Ki Parampara ) अत्यंत प्राचीन है | कुछ विद्वान हरियाणवी कविता का इतिहास भी हिंदी कविता के समानांतर मानते हैं | श्री राजाराम शास्त्री ने हरियाणवी कविता का आरंभ सातवीं-आठवीं सदी से माना है | अनेक आलोचक उनके मत को अस्वीकार करते हैं और इसे अतिशयोक्तिपूर्ण मानते हैं … Read more

‘फैसला’ कहानी का मूल भाव / उद्देश्य / सन्देश या प्रतिपाद्य

मैत्रेयी पुष्पा द्वारा रचित कहानी ‘फैसला’ पुरुष प्रधान समाज में नारी उत्पीड़न की समस्या पर लिखी गई कहानी है | प्रस्तुत कहानी में दर्शाया गया है कि नारी-उत्पीड़न की दास्तां इतनी प्राचीन हो गई है कि पुरुष प्रधान समाज ने उसे अपना अधिकार तथा नारी ने उसे अपनी नियति मान लिया है | ‘फैसला’ कहानी … Read more

‘फैसला’ कहानी की तात्विक समीक्षा

‘फैसला’ कहानी मैत्रेयी पुष्पा की एक बहुचर्चित कहानी है । प्रस्तुत कहानी में लेखिका ने स्त्री की चिर-बंदिनी छवि पर प्रकाश डालते हुए उसे तोड़ने का प्रयास किया है । ‘फैसला’ कहानी की तात्विक समीक्षा इस प्रकार की जा सकती है — (1) कथानक या कथावस्तुकथानक कहानी का मूल तत्त्व होता है । कथानक वास्तव … Read more

स्वरों का वर्गीकरण

देवनागरी लिपि की मानक वर्णमाला में 12 स्वर हैं – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, ऑ | स्वरों का वर्गीकरण मुख्यतः तीन आधार पर किया जा सकता है — 1️⃣ मात्रा के आधार पर 2️⃣ प्रयत्न के आधार पर 3️⃣ स्थान के आधार पर 1️⃣ मात्रा के आधार पर … Read more

हरियाणा की सांग परंपरा ( Haryana Ki Sang Parampara )

हरियाणा में लोक साहित्य का विशेष एवं अनूठा योगदान है | लोक साहित्य या जन-साहित्य वह साहित्य होता है जिसमें स्थानीय साहित्यकारों द्वारा लोक-भाषा में जन-जीवन की झांकी प्रस्तुत की जाती है | हरियाणा की सांग परंपरा हरियाणवी लोक साहित्य का सर्वाधिक लोकप्रिय पक्ष रहा है | सांग का अर्थ ( Saang Ka Arth ) … Read more

‘ठेस’ कहानी की तात्विक समीक्षा

‘ठेस’ फणीश्वर नाथ रेणु द्वारा रचित एक बहुचर्चित कहानी है | इस कहानी में उन्होंने एक कलाकार पात्र की कोमल भावनाओं का मार्मिक चित्रण किया है | ‘ठेस’ कहानी की तात्विक समीक्षा कथानक, पात्र, संवाद, देशकाल, भाषा और उद्देश्य तत्त्वों के आधार पर की जा सकती है | ‘ठेस’ कहानी की तात्विक समीक्षा (1) कथानक … Read more

हरियाणवी भाषा की प्रमुख बोलियां ( Haryanvi Bhasha Ki Pramukh Boliyan )

हरियाणवी भाषा से अभिप्राय हरियाणा प्रदेश की भाषा से है | हरियाणा प्रदेश में बोली जाने वाली भाषा को ‘हरियाणवी‘ कहा जाता है | हरियाणवी भाषा हरियाणा प्रदेश के लोगों से जुड़ी हुई भाषा है जो यहां के लोगों के पारस्परिक वैचारिक आदान -प्रदान का प्रमुख साधन है | हरियाणवी भाषा को बांगरू, कौरवी, दक्षिणी … Read more

संपादक : गुण व दायित्व ( Sampadak : Gun V Dayitv )

संपादक ( Sampadak ) समाचार पत्र रूपी जलयान का कप्तान होता है | वह समाचार पत्र के विभिन्न क्षेत्रों का संचालन व नियमन करता है | वह संस्था के विभिन्न कर्मचारियों – संवाददाता, उप-संपादक, सह-संपादक , विज्ञापन-प्रबंधक आदि के मध्य समन्वय स्थापित करता है | समाचार पत्र की नीति के परिपालन का दायित्व उसका होता … Read more

फीचर का अर्थ, परिभाषा, स्वरूप, विशेषताएँ / गुण

फीचर आधुनिक युग की नवीन विधा है | यह विधा पत्रकारिता के क्षेत्र में हाल ही में विकसित हुई है | समाचार पत्रों के चार प्रमुख अंग होते हैं – समाचार, लेख, फीचर तथा चित्र | फीचर एक विशेष आलेख होता है | अपनी विशिष्ट विशेषताओं के कारण यह अन्य तीन अंगों से सर्वथा भिन्न … Read more

शीर्षक-लेखन का महत्त्व एवं विशेषताएँ

समाचार, निबंध, कहानी, उपन्यास व किसी भी साहित्यिक विधा में शीर्षक का विशेष महत्त्व है | समाचार-लेखन में शीर्षक-लेखन का महत्त्व और अधिक बढ़ जाता है | प्रायः समाचार पत्रों के पाठक शीर्षक को देखकर ही उसे पढ़ने या छोड़ने का निर्णय लेते हैं | अतः समाचार के शीर्षक का सरल, संक्षिप्त और जिज्ञासावर्धक होना … Read more

चंद्रगुप्त का चरित्र चित्रण ( ध्रुवस्वामिनी )

‘ध्रुवस्वामिनी’ ( Dhruvswamini ) जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित एक ऐतिहासिक नाटक है | नाटक के शीर्षक से ही पता चलता है कि नाटक का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पात्र ध्रुवस्वामिनी है | नाटक के पुरुष पात्रों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण पात्र चंद्रगुप्त, रामगुप्त,  शिखर स्वामी और शकराज हैं | नाटक में चंद्रगुप्त का चरित्र चित्रण नायक के रूप … Read more

ध्रुवस्वामिनी नाटक की कथावस्तु की समीक्षा

जयशंकर प्रसाद ने हिंदी नाटक विधा को नए आयाम प्रदान किए | उन्होंने  प्राय: ऐतिहासिक नाटक लिखे हैं | ध्रुवस्वामिनी नाटक भी एक ऐतिहासिक नाटक है परन्तु प्रसाद जी ने अपनी साहित्यिक प्रतिभा के बल पर ध्रुवस्वामिनी नाटक की कथावस्तु को साहित्यिक रोचकता व रसमयता प्रदान कर दी है | प्रस्तुत नाटक में प्रसाद जी ने … Read more

ध्रुवस्वामिनी नाटक की तात्विक समीक्षा

‘ध्रुवस्वामिनी‘ जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित एक ऐतिहासिक नाटक है | इस नाटक में सम्राट समुद्रगुप्त के पश्चात के उस काल को दिखाया गया है जिसमें गुप्त वंश की बागडोर एक निर्बल व कायर शासक रामगुप्त के हाथों में आ गई थी और गुप्त वंश पतन की ओर अग्रसर था | यद्यपि सम्राट समुद्रगुप्त अपने छोटे … Read more

ध्रुवस्वामिनी का कथानक/कथासार ( Dhruvsvamini Ka Kathanak/kathasar )

जयशंकर प्रसाद ने हिंदी नाटक विधा को नए आयाम प्रदान किए | उन्होंने प्राय: ऐतिहासिक नाटक लिखे हैं | ध्रुवस्वामिनी नाटक भी एक ऐतिहासिक नाटक है जिसे प्रसाद जी ने अपनी साहित्यिक प्रतिभा के बल पर एक रसमय साहित्यिक रचना में परिवर्तित कर दिया है | ध्रुवस्वामिनी का कथानक गुप्त वंश के शासक चन्द्रगुप्त द्वितीय … Read more

‘मलबे का मालिक’ कहानी की तात्विक समीक्षा

‘मलबे का मालिक’ मोहन राकेश की एक प्रसिद्ध एवं अति चर्चित कहानी है | यह कहानी भारत-पाक विभाजन के परिणामस्वरूप उत्पन्न वैमनस्य का चित्रण करती है | ‘मलबे का मालिक’ कहानी की तात्विक समीक्षा कतिपय विद्वानों द्वारा निर्धारित छह तत्त्वों के आधार पर की जा सकती है | ये छह तत्त्व निम्नलिखित हैं — (1) … Read more

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