महत्त्वपूर्ण प्रश्न ( हिंदी भाषा एवं व्याकरण )

भाषा के विविध रूप / भेद / प्रकार ( Bhasha Ke Vividh Roop / Bhed / Prakar ) हिन्दी की प्रमुख बोलियाँ और उनका क्षेत्र व्याकरण : अर्थ, महत्त्व | देवनागरी लिपि की विशेषताएँ ( Devnagari Lipi Ki Visheshtayen ) देवनागरी लिपि का मानकीकरण उपसर्ग और प्रत्यय पर्यायवाची शब्द : अर्थ व उदाहरण विलोम शब्द … Read more

हिन्दी की प्रमुख बोलियाँ और उनका क्षेत्र

हिन्दी मुख्य रूप से उत्तर भारत में बोली जाती है | यह भाषा मुख्यतः हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार राज्यों में बोली जाती है | हिंदी को मुख्य रूप से पांच उपभाषाओं में बांटा जा सकता है : (1) पश्चिमी हिन्दी, (2) पूर्वी हिन्दी, (3) राजस्थानी, (4) … Read more

मुहावरे व लोकोक्तियाँ

मुहावरा — मुहावरा एक ऐसा वाक्यांश होता है जिसका अर्थ उसके शब्दों के अर्थ से भिन्न होता है। यह भाषा में विशेष अर्थ या भावना व्यक्त करने के लिए प्रयोग होता है। मुहावरों का उपयोग किसी विशेष स्थिति, भावना या विचार को संक्षेप में और प्रभावशाली तरीके से व्यक्त करने के लिए किया जाता है। … Read more

पर्यायवाची शब्द : अर्थ व उदाहरण

पर्यायवाची शब्द वे शब्द होते हैं जो प्राय: एक ही अर्थ को व्यक्त करते हैं और एक दूसरे के स्थान पर प्रयोग किया जा सकते हैं परंतु उनके अर्थ में कुछ सूक्ष्म भिन्नता हो सकती है ; जैसे — स्त्री — महिला, अबला, ललना | पर्यायवाची शब्दों को समानार्थक शब्द भी कहते हैं | पर्यायवाची … Read more

उपसर्ग और प्रत्यय

उपसर्ग ( Upsarg ) उपसर्ग वे वर्ण या शब्दांश हैं, जो किसी मूल शब्द के पहले जोड़े जाते हैं और उनके अर्थ में परिवर्तन करते हैं। उदाहरण : अ — असफल, अभाव, असत्य अप — अपमान, अपशकुन, अपयश अधि — अधिकार, अधिभार, अधिनियम उपसर्ग के प्रकार ( Upsarg Ke Prakar ) उपसर्ग मुख्यत: तीन प्रकार … Read more

विकारी शब्द : अर्थ व भेद – संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया ( Vikari Shabd : Arth Aur Bhed )

विकारी शब्द का अर्थ वाक्य में प्रयोग करते समय जिन शब्दों में कुछ परिवर्तन हो जाता है उन्हें विकारी शब्द कहते हैं ; जैसे – काला, नदी, पंखा आदि | विकारी शब्द के भेद ( Vikari shabd Ke Bhed ) विकारी शब्द मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं : (1) संज्ञा, (2) सर्वनाम, … Read more

भाषा के प्रकार / भेद ( Bhasha Ke Prakar / Bhed )

भाषा विचारों के आदान-प्रदान का साधन है | भाषा के माध्यम से हम अपने भाव या सन्देश को दूसरों के सामने प्रकट करते हैं व दूसरों के भाव या सन्देश को ग्रहण करते हैं | मौखिक, लिखित व सांकेतिक माध्यम से हम अपनी बात दूसरों तक पहुँचा सकते हैं | इस आधार पर भाषा के … Read more

भाषा और बोली में अंतर ( Bhasha Aur Boli Men Antar )

भाषा और बोली में स्पष्ट विभाजक रेखा खींचना बहुत कठिन कार्य है दोनों ही भावाभिव्यक्ति के माध्यम हैं । जब बोली किन्हीं कारणों से प्रमुखता प्राप्त कर लेती है तो भाषा कहलाती है | संक्षेप में बोली का स्वरूप भाषा की अपेक्षा सीमित होता है | वह भाषा की अपेक्षा छोटे भू-भाग में बोली जाती … Read more

स्वरों का वर्गीकरण

देवनागरी लिपि की मानक वर्णमाला में 12 स्वर हैं – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, ऑ | स्वरों का वर्गीकरण मुख्यतः तीन आधार पर किया जा सकता है — 1️⃣ मात्रा के आधार पर 2️⃣ प्रयत्न के आधार पर 3️⃣ स्थान के आधार पर 1️⃣ मात्रा के आधार पर … Read more

भाषा का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं एवं स्वरूप

भाषा का मूल अर्थ – बोलना या कहना है | साधारण शब्दों में मानव-मुख से निकलने वाली ध्वनियों को भाषा कहा जाता है | लेकिन मानव मुख से निकलने वाली प्रत्येक ध्वनि भाषा नहीं होती | वास्तव में मानव-मुख से निकलने वाली वह सार्थक ध्वनियां जो विचारों या भावों का संप्रेषण करती हैं, भाषा कहलाती … Read more

भाषा के विविध रूप / भेद / प्रकार ( Bhasha Ke Vividh Roop / Bhed / Prakar )

सामान्य शब्दों में भाषा शब्द का प्रयोग मनुष्य की व्यक्त वाणी के लिए किया जाता है | भाषा वह साधन है जिसके द्वारा मनुष्य अपने विचारों को दूसरों तक पहुंचाता है और दूसरों के विचार समझ पाता है | यद्यपि कुछ कार्य संकेतों और शारीरिक कष्टों के द्वारा किया जा सकता है लेकिन यह पर्याप्त … Read more

पारिभाषिक शब्दावली : अर्थ, परिभाषा एवं स्वरूप

पारिभाषिक शब्द अंग्रेजी के ‘टेक्निकल’ शब्द का हिंदी अनुवाद है | ‘टेक्निकल’ शब्द ग्रीक भाषा के ‘टेक्निक्स’ शब्द से बना है, जिसका अर्थ है – विशिष्ट कला का या विज्ञान का या कला के बारे में |इस आधार पर पारिभाषिक शब्द वे शब्द होते हैं, जो किसी विशिष्ट कला या विज्ञान की किसी शाखा से … Read more

विलोम शब्द / Vilom Shabd

वक्र – ऋजु गृहीत – अर्पित संशय – निश्चय आदि – अन्त अधम – उत्तम देवता – राक्षस/दैत्य / दानव सुरु – असुर करुण – निष्ठुर संन्यासी – गृहस्थ उपर्युक्त – निम्नांकित बर्बर – सभ्य प्रज्ञ – मूढ़ सम्पदा – विपदा देव – दानव/दैत्य प्रसार – संकीर्ण अंधेरा – उजाला तृषा – तृप्ति आय – … Read more