समास के भेद / प्रकार

समास ‘समास’ का शाब्दिक अर्थ है – संक्षेप | समाज की प्रक्रिया में शब्दों का संक्षेपीकरण किया जाता है | सामान्यतः दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से जो नया शब्द बनता है उसे समस्तपद कहते हैं तथा इस प्रक्रिया को समास कहते हैं | समास की प्रक्रिया में जब दो प्रमुख शब्दों … Read more

व्याकरणिक कोटियाँ : लिंग, वचन, पुरुष, कारक

व्याकरणिक कोटियाँ जब कोई शब्द वाक्य में प्रयुक्त होता है तो उसे कुछ व्याकरणिक बंधनों को स्वीकार करना पड़ता है ; जिन्हें व्याकरणिक कोटियाँ कहते हैं | जैसे — लिंग, वचन, पुरुष, कारक, काल आदि | लिंग संज्ञा के जिस रूप से किसी वस्तु, व्यक्ति या प्राणी आदि की स्त्री या पुरुष जाति का बोध … Read more

मुहावरे व लोकोक्तियाँ

मुहावरा — मुहावरा एक ऐसा वाक्यांश होता है जिसका अर्थ उसके शब्दों के अर्थ से भिन्न होता है। यह भाषा में विशेष अर्थ या भावना व्यक्त करने के लिए प्रयोग होता है। मुहावरों का उपयोग किसी विशेष स्थिति, भावना या विचार को संक्षेप में और प्रभावशाली तरीके से व्यक्त करने के लिए किया जाता है। … Read more

पर्यायवाची शब्द : अर्थ व उदाहरण

पर्यायवाची शब्द वे शब्द होते हैं जो प्राय: एक ही अर्थ को व्यक्त करते हैं और एक दूसरे के स्थान पर प्रयोग किया जा सकते हैं परंतु उनके अर्थ में कुछ सूक्ष्म भिन्नता हो सकती है ; जैसे — स्त्री — महिला, अबला, ललना | पर्यायवाची शब्दों को समानार्थक शब्द भी कहते हैं | पर्यायवाची … Read more

अविकारी शब्द : अर्थ व प्रकार

वाक्य में प्रयोग करते समय जिन शब्दों में कोई विकार या या परिवर्तन ना हो उन शब्दों को अविकारी शब्द कहते हैं | जैसे — और, तथा, किन्तु, ही, भी, तो, तक आदि | अविकारी शब्दों को ‘अव्यय’ भी कहा जाता है | अविकारी शब्दों के भेद अविकारी ( अव्यय ) शब्दों के पाँच भेद … Read more

अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद

अर्थ के आधार पर वाक्य के आठ भेद हैं :- (1) विधानवाचक वाक्य जिन वाक्यों में किसी काम के करने या होने की सूचना दी जाये उन्हें, विधानवाचक वाक्य कहते हैं | कुछ विद्वान् इन्हें सकारात्मक वाक्य भी कहते हैं | उदाहरण — (i) लड़का जाता है | (ii) सीता सो रही है | (iii) … Read more

रचना के आधार पर वाक्य के भेद

रचना के आधार पर वाक्य के तीन भेद माने गए हैं – (क ) सरल या साधारण वाक्य, (ख ) संयुक्त वाक्य तथा (ग ) मिश्र या जटिल वाक्य | (क ) सरल वाक्य – जिस वाक्य में एक कर्त्ता और एक क्रिया अथवा एक उद्देश्य और एक विधेय होता है, उसे सरल वाक्य कहा … Read more

उपसर्ग और प्रत्यय

उपसर्ग ( Upsarg ) उपसर्ग वे वर्ण या शब्दांश हैं, जो किसी मूल शब्द के पहले जोड़े जाते हैं और उनके अर्थ में परिवर्तन करते हैं। उदाहरण : अ — असफल, अभाव, असत्य अप — अपमान, अपशकुन, अपयश अधि — अधिकार, अधिभार, अधिनियम उपसर्ग के प्रकार ( Upsarg Ke Prakar ) उपसर्ग मुख्यत: तीन प्रकार … Read more

विकारी शब्द : अर्थ व भेद ( Vikari Shabd : Arth Aur Bhed )

विकारी शब्द का अर्थ वाक्य में प्रयोग करते समय जिन शब्दों में कुछ परिवर्तन हो जाता है उन्हें विकारी शब्द कहते हैं ; जैसे – काला, नदी, पंखा आदि | विकारी शब्द के भेद ( Vikari shabd Ke Bhed ) विकारी शब्द मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं : (1) संज्ञा, (2) सर्वनाम, … Read more

शब्द और पद ( Shabd Aur Pad )

शब्द : दो या दो से अधिक वर्णों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं | जैसे – कमल, फूल, काला आदि शब्द हैं लेकिन अउइए, कफच, चबट आदि वर्णों का समूह होने पर भी शब्द नहीं हैं क्योंकि इनसे किसी अर्थ की अभिव्यक्ति नहीं होती | अतः वर्णों के ऐसे समूह को ही शब्द … Read more

शब्द : अर्थ, परिभाषा व प्रकार

शब्द : दो या दो से अधिक वर्णों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं | शब्द के दो रूप होते हैं – मूल शब्द ( प्रातिपादिक शब्द ) और पद | मूल शब्द या प्रातिपादिक शब्द वह आधारभूत शब्द है लेकिन जब मूल शब्द लिंग,वचन,कारक, काल आदि के अनुसार उपसर्ग, प्रत्यय आदि लगाने से … Read more

हिंदी का व्यावहारिक व्याकरण B-23-HIN-103 ( प्रमुख प्रश्न )

(1) शब्द : अर्थ, परिभाषा व प्रकार (2) शब्द और पद ( Shabd Aur Pad ) (3) विकारी शब्द : अर्थ व भेद ( Vikari Shabd : Arth Aur Bhed ) (4) अविकारी शब्द : अर्थ व प्रकार (5 ) व्याकरणिक कठियाँ : लिंग, वचन, पुरुष, कारक | (6) उपसर्ग और प्रत्यय (7) सन्धि : … Read more

विलोम शब्द / Vilom Shabd

वक्र – ऋजु गृहीत – अर्पित संशय – निश्चय आदि – अन्त अधम – उत्तम देवता – राक्षस/दैत्य / दानव सुरु – असुर करुण – निष्ठुर संन्यासी – गृहस्थ उपर्युक्त – निम्नांकित बर्बर – सभ्य प्रज्ञ – मूढ़ सम्पदा – विपदा देव – दानव/दैत्य प्रसार – संकीर्ण अंधेरा – उजाला तृषा – तृप्ति आय – … Read more

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