सूरदास का श्रृंगार वर्णन ( Surdas Ka Shringar Varnan )

सूरदास जी भक्तिकाल की सगुण काव्यधारा के प्रमुख कवि हैं | उन्हें कृष्ण काव्य धारा का सर्वश्रेष्ठ कवि माना जाता है | उन्हें वात्सल्य सम्राट के रूप में जाना जाता है परंतु वात्सल्य के समान श्रृंगार वर्णन में भी सूरदास जी ने कमाल किया है | यही कारण है कि अनेक विद्वान उन्हें श्रृंगार रस … Read more

सूरदास का वात्सल्य वर्णन ( Surdas Ka Vatsalya Varnan)

सूरदास भक्तिकालीन सगुण काव्यधारा की कृष्ण काव्यधारा के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं | उनका श्रृंगार वर्णन एवं वात्सल्य वर्णन संपूर्ण हिंदी साहित्य में अनूठा है | सूरदास जी से पहले हिंदी साहित्य में किसी कवि ने वात्सल्य वर्णन करने का कार्य नहीं किया | सूरदास जी पहले कवि हैं जिन्होंने वात्सल्य वर्णन किया और इतने प्रभावशाली … Read more

आदिकाल / वीरगाथा काल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ ( Aadikal / Veergathakal Ki Pramukh Visheshtaen )

हिंदी साहित्य के इतिहास को तीन भागों में बांटा जा सकता है – आदिकाल, मध्यकाल और आधुनिक काल | सम्वत 1050 से सम्वत 1375 तक का साहित्य आदिकाल के नाम से जाना जाता है | आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने इस काल को वीरगाथा काल की संज्ञा दी है | परंतु परंतु इस काल में मिली … Read more

काव्य के प्रमुख तत्त्व ( Kavya Ke Pramukh Tattv )

काव्य की विभिन्न परिभाषाओं का अध्ययन करने पर काव्य के चार प्रमुख तत्त्व सामने आते हैं – भाव तत्त्व, कल्पना तत्त्व, बुद्धि तत्त्व और शैली तत्त्व | कविता के लिए यह सभी तत्त्व आवश्यक हैं परंतु अधिकांश विद्वान भाव तत्त्व और शैली तत्त्व को प्रमुख मानते हैं | क्योंकि अनुभूति के बिना कविता निस्सार और … Read more

काव्य : अर्थ, परिभाषा एवं स्वरूप ( बी ए हिंदी – प्रथम सेमेस्टर )( Kavya ka Arth, Paribhasha Avam Swaroop )

काव्य – अभिनव गुप्त ने काव्य के विषय में लिखा है ‘कवनीय काव्यम’ अर्थात जो कुछ वर्णनीय है, वही काव्य है | अंग्रेजी भाषा में कवि का पर्याय शब्द ‘Poet’ है जिसका अर्थ है – निर्माता या रचनकर्त्ता | अंग्रेजी में काव्य को ‘Poem’ कहते हैं जिसका अर्थ है – निर्माण या रचना | इस … Read more

काव्य गुण : अर्थ, परिभाषा और प्रकार ( Kavya Gun : Arth, Paribhasha Aur Swaroop )

काव्य गुण – काव्य के सौंदर्य एवं अभिव्यंजना शक्ति को बढ़ाने वाले तत्त्वों को काव्य गुण कहा जाता है | डॉ नगेन्द्र के अनुसार – “गुण काव्य के उन उत्कर्ष साधक तत्वों को कहते हैं जो मुख्य रूप से रस के और गौण रूप से शब्दार्थ के नित्य धर्म हैं |” काव्य गुणों की संख्या … Read more

तुलसीदास का साहित्यिक परिचय ( Tulsidas Ka Sahityik Parichay )

जीवन परिचय – तुलसीदास जी भक्तिकालीन सगुण काव्यधारा की रामकाव्य धारा के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं | तुलसीदास जी की जन्म-तिथि व जन्म-स्थान के विषय में विद्वानों में मतभेद है | परंतु फिर भी अधिकांश विद्वान मानते हैं कि इनका जन्म 1532 ईस्वी में उत्तरप्रदेश के बांदा जिले के राजापुर गांव में हुआ | इनके पिता … Read more

सूरदास का साहित्यिक परिचय ( Surdas Ka Sahityik Parichay )

जीवन परिचय – सूरदास जी भक्तिकालीन सगुण काव्यधारा की कृष्ण काव्य धारा के सर्वाधिक प्रमुख कवि हैं | उन्हें अष्टछाप का जहाज कहा जाता है | उनकी जन्म-तिथि तथा जन्म-स्थान को लेकर विद्वानों में मतभेद है फिर भी अधिकांश विद्वान मानते हैं कि सूरदास का जन्म सन 1478 ईस्वी ( सम्वत 1535 ) में हुआ … Read more

कबीरदास का साहित्यिक परिचय ( Kabirdas Ka Sahityik Parichay )

जीवन परिचय – महाकवि कबीरदास न केवल संतकाव्य धारा के अपितु संपूर्ण हिंदी साहित्य के महान कवि थे | यद्यपि वे निरक्षर थे तथापि उनकी अभिव्यक्ति क्षमता विलक्षण थी | कबीरदास जी की जन्म तिथि को लेकर विद्वानों में मतभेद है फिर भी अधिकांश विद्वान यह स्वीकार करते हैं कि इनका जन्म सन 1398 ईस्वी … Read more

काव्य हेतु : अर्थ, परिभाषा, स्वरूप और प्रासंगिकता या महत्त्व ( Kavya Hetu : Arth, Paribhasha V Swaroop )

काव्य-हेतु का अर्थ ( Kavya Hetu Ka Arth ) सामान्यत: उन तत्वों को जो काव्य-रचना के मूल कारण होते हैं, काव्य हेतु कहा जाता है | इनको निमित्त कारण भी कहते हैं | निमित्त कारण उन कारणों को कहते हैं जो काव्य-रचना के निमित्त होते हैं अर्थात जिनके बिना काव्य रचना नहीं हो सकती | … Read more

आदिकाल : प्रमुख कवि, रचनाएं व नामकरण ( Aadikal ke Pramukh Kavi, Rachnayen Evam Naamkaran )

       आदिकाल की प्रमुख रचनाएं एवं नामकरण  Aadikal ki Pramukh Rachnayen Evam Namkaran  ▪️ सरहपाद ( 769 ईस्वी ) – दोहाकोश▪️ स्वयंभू (आठवीं सदी) –  पउम चरिउ, णयकुमार चरिउ, नागकुमार चरिउ👉 [ पउम चरिउ ( राम कथा)  के कारण स्वयंभू को अपभ्रंश का वाल्मीकि कहा जाता है | ] ▪️ जोइंदु (आठवीं सदी) … Read more

आदिकाल की परिस्थितियां ( Aadikal Ki Paristhitiyan )

                आदिकाल की परिस्थितियां               ( Aadikal Ki Paristhitiyan ) हिंदी साहित्य के इतिहास को तीन भागों में बांटा जा सकता है : आदिकाल,  मध्यकाल और आधुनिक काल | मध्यकाल को भक्तिकाल और रीतिकाल में बांटा जा सकता है |आदिकाल की समय सीमा … Read more

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