कबीर ( Kabir )

( यहाँ ग्यारहवीं कक्षा की हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘आरोह भाग 1’ में संकलित ‘कबीर’ के पदों की सप्रसंग व्याख्या प्रस्तुत की गई है | ) पद 1 हम तौ एक एक करि जाना | दोइ कहैं तिनहीं कौँ दोजग जिन नाहिंन पहिचांनां || एकै पवन एक ही पानीं एकै जोति समांनां | एकै खाक … Read more

मीरा ( Mirabai )

( यहाँ NCERT की हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘आरोह भाग 1’ में संकलित मीरा ( Mirabai ) के पदों की व्याख्या तथा अभ्यास के प्रश्न दिए गए हैं |) पद 1 मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई जा के सिर मोर-मुकुट, मेरो पति सोई छांडि दयी कुल की कानि, कहा करिहै कोई? संतन ढिग … Read more

वे आँखें ( सुमित्रानंदन पंत )

( ‘वे आँखें’ सुमित्रानंदन पंत द्वारा रचित एक प्रगतिशील कविता है जिसमें एक किसान की दयनीय स्थिति का मार्मिक चित्रण है | ) अंधकार की गुहा सरीखी उन आँखों से डरता है मन, भरा दूर तक उनमें दारुण दैन्य दुख का नीरव रोदन! वह स्वाधीन किसान रहा, अभिमान भरा आँखों में इसका, छोड़ उसे मँझधार … Read more

पथिक ( रामनरेश त्रिपाठी )

( यहाँ NCERT की हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘आरोह भाग 1’ में संकलित कविता ‘पथिक’ ( रामनरेश त्रिपाठी ) की व्याख्या तथा प्रतिपाद्य दिया गया है ) प्रतिक्षण नूतन वेश बनाकर रंग-बिरंग निराला | रवि के सम्मुख थिरक रही है नभ में वारिद-माला | नीचे नील समुद्र मनोहर ऊपर नील गगन है | घन पर … Read more

बाजार दर्शन : जैनेंद्र कुमार ( Bajar Darshan : Jainendra Kumar )

एक बार की बात कहता हूँ | मित्र बाजार गए तो थे कोई एक मामूली चीज लेने पर लौटे तो एकदम बहुत से बंडल पास थे | मैंने कहा – यह क्या? बोले – यह जो साथ थी | उनका आशय था कि यह पत्नी की महिमा है | उस महिमा का मैं कायल हूँ … Read more

भक्तिन ( महादेवी वर्मा )

अभ्यास के प्रश्न ( भक्तिन : महादेवी वर्मा ) (1) भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी? भक्तिन को यह नाम किसने और क्यों दिया होगा? ( भक्तिन : महादेवी वर्मा ) उत्तर — भक्तिन का वास्तविक नाम लछमिन अर्थात लक्ष्मी था | लक्ष्मी धन की देवी होती है | परंतु भक्तिन के … Read more

बादल राग : सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ( Badal Raag : Suryakant Tripathi Nirala )

अभ्यास के प्रश्न ( बादल राग : सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ) (1) ‘अस्थिर सुख पर दुख की छाया’ पंक्ति में दुख की छाया किसे कहा गया है और क्यों? उत्तर — ‘अस्थिर सुख पर दुख की छाया’ पंक्ति में ‘दुख की छाया’ अनिष्ट का प्रतीक है? प्रस्तुत कविता में ‘दुख की छाया’ क्रांति की आशंका … Read more

कवि बिहारी की काव्य-कला ( Kavi Bihari Ki Kavya Kala )

बिहारी रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि हैं | रीतिसिद्ध काव्य-परंपरा के यह सर्वश्रेष्ठ कवि माने जाते हैं | इनकी एक मात्र रचना ‘बिहारी सतसई’ है जिसमें 713 दोहे हैं | कवि बिहारी की काव्य-कला का विवेचन भाव पक्ष और कला पक्ष इन दो दृष्टिकोणों से किया जा सकता है | कवि बिहारी का भाव पक्ष या … Read more

बिहारीलाल के दोहों की व्याख्या ( Biharilal Ke Dohon Ki Vyakhya )

( यहाँ कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा निर्धारित हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘मध्यकालीन काव्य कुंज’ में संकलित बिहारीलाल के दोहों की व्याख्या दी गई है | ) मेरी भव बाधा हरौ, राधा नागरिक सोइ | जा तन की झाईं परैं स्यामु हरित-दुति होइ || (1) प्रसंग — प्रस्तुत दोहा हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘मध्यकालीन काव्य कुंज’ में संकलित … Read more

लक्ष्मण मूर्छा और राम का विलाप ( Lakshman Murcha Aur Ram Ka Vilap ) : तुलसीदास

( यहाँ कक्षा 12वीं की हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित तुलसीदास कृत रामचरितमानस से अवतरित ‘लक्ष्मण मूर्छा और राम का विलाप’ काव्यांश का मूल पाठ तथा सप्रसंग व्याख्या दी गई है | ) दोहा तव प्रताप उर राखि प्रभु जैहउँ नाथ तुरंत ।अस कहि आयसु पाइ पद बंदि चलेउ हनुमंत ॥ … Read more

कवितावली ( तुलसीदास )

( यहाँ NCERT की हिंदी की कक्षा 12वीं की पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित कवितावली ( तुलसीदास ) की व्याख्या तथा अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं | ) किसबी, किसान-कुल, बनिक, भिखारी, भाट, चाकर, चपल नट, चोर, चार, चेटकी | पेटको पढ़त, गुन गढ़त, चढ़त गिरि, अटत गहन-गन अहन अखेटकी || … Read more

गज़ल ( फिराक गोरखपुरी )

( यहाँ कक्षा 12वीं की हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित ‘गज़ल ‘( फिराक गोरखपुरी ) की व्याख्या दी गई है |) नौरस गुंचे पंखड़ियों की नाजुक गिरहें खोले हैं या उड़ जाने को रंगो-बू गुलशन में पर तोले हैं | (1) प्रसंग — प्रस्तुत काव्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ … Read more

रुबाइयाँ ( Rubaiyan ) : फिराक गोरखपुरी

आँगन में लिए चाँद के टुकड़े को खड़ी हाथों पे झूलाती है उसे गोद-भरी रह-रह के हवा में जो लोका देती है गूँज उठती है खिलखिलाते बच्चे की हँसी | (1) प्रसंग — प्रस्तुत काव्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संस्कृत कविता ‘रुबाइयाँ’ में से अवतरित है | इसके शायर फिराक गोरखपुरी जी … Read more

बगुलों के पंख ( Bagulon Ke Pankh ) : उमाशंकर जोशी

नभ में पाँती-बँधे बगुलों के पंख, चुराए लिए जाती वे मेरी आँखें | कजरारे बादलों की छाई नभ छाया, तैरती साँझ की सतेज श्वेत काया | होले होले जाती मुझे बांध निज माया से | उसे कोई तनिक रोक रक्खो | वह तो चुराए लिए जाती मेरी आँखें नभ में पाँती-बँधे बगुलों की पाँखें | … Read more

छोटा मेरा खेत ( उमाशंकर जोशी )

छोटा मेरा खेत चौकोना कागज का एक पन्ना, कोई अंधड़ कहीं से आया क्षण का बीज वहां बोया गया | कल्पना के रसायनों को पी बीज गल गया नि:शेष ; शब्द के अंकुर फूटे, पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष | (1) प्रसंग – प्रस्तुत काव्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित कविता ‘छोटा … Read more

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