पहलवान की ढोलक : फणीश्वरनाथ रेणु
जाड़े का दिन | अमावस्या की रात – ठंडी और काली | मलेरिया और हैजे से पीड़ित गाँव भर्यात्त शिशु की तरह थर-थर काँप रहा था | पुरानी और उजड़ी बाँस-फूस की झोपड़ियों में अंधकार और सन्नाटे का सम्मिलित साम्राज्य | अंधेरा और निस्तब्धता | अँधेरी रात चुपचाप आँसू बहा रही थी | निस्तब्धता करुण … Read more