बादल राग ( Badal Raag ) ( सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ): व्याख्या व प्रतिपाद्य

‘बादल राग’ कविता की व्याख्या तिरती है समीर-सागर पर अस्थिर सुख पर दुख की छाया जग के दग्ध हृदय पर निर्दय विप्लव की प्लावित माया यह तेरी रण-तरी, भरी आकांक्षाओं से, घन, भेरी-गर्जन से सजग, सुप्त अंकुर उर में पृथ्वी के, आशाओं से नव जीवन की, ऊंचा कर सिर, ताक रहे हैं, ऐ विप्लव के … Read more

विधवा ( Vidhva ) : सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ ( सप्रसंग व्याख्या व प्रतिपाद्य ) ( BA Hindi – 3rd Semester )

‘विधवा’ कविता का प्रतिपाद्य / विषय या संदेश सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ छायावाद के चार आधार-स्तंभों में से एक हैं | निराला संभवत: प्रथम छायावादी कवि हुए हैं जिन्होंने सर्वप्रथम प्रगतिशील विचारों को अपनी कविता में स्थान दिया | भिक्षुक, विधवा, तोड़ती पत्थर, बादल राग और कुकुरमुत्ता जैसी कविताएं ऐसी ही कवितायें हैं जिनमें निराला जी … Read more

पवनदूती काव्य में निहित संदेश / उद्देश्य ( Pavandooti Kavya Mein Nihit Sandesh / Uddeshya )

‘पवनदूती’ ( पवन दूतिका ) नामक काव्य अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ द्वारा रचित ‘प्रियप्रवास’ शीर्षक महाकाव्य का एक अंश है | इस महाकाव्य में श्री कृष्ण के मथुरा जाने की घटना का उल्लेख है | श्री कृष्ण के मथुरा गमन करते ही ब्रजवासी विरह-वेदना से व्यथित हो उनके जीवन की विभिन्न घटनाओं का स्मरण करते … Read more

राधा की विरह-वेदना (पवनदूती) ( Radha Ki Virah Vedna ) : अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ ( BA – 3rd Semester )

‘पवन दूती’ शीर्षक काव्य अयोध्या सिंह उपाध्याय द्वारा रचित खड़ी बोली के प्रथम महाकाव्य ‘प्रियप्रवास’ का अवतरण है | इस कविता का प्रमुख विषय राधा के विरह का चित्रण करना है | श्री कृष्ण मथुरा के राजा कंस के आमंत्रण पर मथुरा चले गए परंतु पुन: लौटकर नहीं आए | इधर राधा श्री कृष्ण के … Read more

भारत-भारती ( Bharat Bharati ) : मैथिलीशरण गुप्त

मानस-भवन में आर्यजन, जिसकी उतारें आरती – भगवान ! भारतवर्ष में गूंजे हमारी भारती | हो भद्रभावोदभाविनी वह भारती हे भगवते ! सीतापते ! सीतापते !! गीतामते ! गीतामते || (1) प्रसंग – प्रस्तुत काव्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘भारत भारती’ नामक कविता से अवतरित है | इस कविता के रचयिता राष्ट्रकवि श्री मैथिलीशरण … Read more

जयद्रथ वध ( Jaydrath Vadh ) : मैथिलीशरण गुप्त ( सप्रसंग व्याख्या )

जयद्रथ वध ( मैथिलीशरण गुप्त ) : व्याख्या उन्मत्त विजयोल्लास से, सब लोग मत-गयन्द-से, राजा युधिष्ठिर के निकट पहुंचे बड़े आनंद से | देखा युधिष्ठिर ने उन्हें जब, जान ली निज जय तभी, सुख-चिन्ह से ही चित्त की बुध जान लेते हैं सभी || तब अर्जुनादिक ने उन्हें बढ़कर प्रणाम किया वहां, सिर पर उन्होंने … Read more

संदेश यहाँ मैं नहीं स्वर्ग का लाया ( Sandesh Yahan Nahin Main Swarg Ka Laya ) : मैथिलीशरण गुप्त

संदेश यहाँ मैं नहीं स्वर्ग का लाया ( मैथिलीशरण गुप्त ) : व्याख्या निज रक्षा का अधिकार रहे जन-जन को, सब की सुविधा का भार किंतु शासन को | मैं आर्यों का आदर्श बताने आया, जन-सम्मुख धन को तुच्छ जताने आया | सुख-शांति हेतु में क्रांति मचाने आया, विश्वासी का विश्वास बचाने आया | (1) … Read more

पवनदूती / पवन दूतिका ( Pavandooti ) – प्रिय प्रवास – अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ -षष्ठ सर्ग ( मंदाक्रांता छंद )

नाना चिंता सहित दिन को राधिका थी बिताती | आंखों को थी सजल रखती उन्मना थी बिताती | शोभा वाले जलद वपु की, हो रही चातकी थी | उत्कंठा थी परम प्रबला, वेदना वर्द्धिता थी || (1) बैठी खिन्ना यक दिवस वे, गेह में थी अकेली | आके आंसू युगल दृग में, थे धरा को … Read more

कुरुक्षेत्र : चतुर्थ सर्ग ( Kurukshetra : Chaturth Sarg ) (रामधारी सिंह दिनकर )

कुरुक्षेत्र ( चतुर्थ सर्ग ) : व्याख्या पितामह कह रहे कौन्तेय से रण की कथा हैं, विचारों की लड़ी में गूंथते जाते व्यथा हैं | हृदय-सागर मथित होकर कभी जब डोलता है, छिपी निज वेदना गंभीर नर भी बोलता है | (1) चुराता न्याय जो, रण को बुलाता भी वही है, युधिष्ठिर ! स्वत्व की … Read more

वस्तुनिष्ठ प्रश्न, ( बीo एo हिंदी -तृतीय सेमेस्टर ( Objective Type Questions B A Hindi -3rd Semester )

🔹 ‘हरिऔध’ का पूरा नाम क्या है? उत्तर – अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ 🔹 ‘हरिओध’ जी किस युग के कवि हैं? उत्तर – द्विवेदी युग 🔹 ‘हरिऔध’ जी का जन्म कब हुआ था? उत्तर – सन 1865 में | 🔹 ‘हरिऔध’ जी का देहांत कब हुआ? उत्तर – 6 मार्च, 1947 को 🔹 ‘हरिऔध’ जी के … Read more

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