महत्त्वपूर्ण प्रश्न ( बी ए प्रथम सेमेस्टर – हिंदी )

(1) यह प्रश्न व्याख्या से सम्बंधित होगा जिसके अंतर्गत विश्वविद्यालय द्वारा निर्धारित पाठ्य-पुस्तक ‘मध्यकालीन काव्य कुंज’ से चार पद्यांश व्याख्या के लिए दिए जाएंगे | परीक्षार्थी को किन्हीं दो की सप्रसंग व्याख्या करनी होगी | यह प्रश्न 12 ( 6+6 ) अंक का होगा | (i) कबीरदास के पदों की व्याख्या ( बी ए – … Read more

रासो काव्य परंपरा ( Raso Kavya Parampara )

रासो काव्य परंपरा ( Raso Kavya Parampara ) को जानने से पूर्व ‘रासो’ शब्द की व्युत्पत्ति को जानना आवश्यक होगा | ‘रासो’ शब्द की व्यत्पत्ति ‘रासो’ शब्द की व्युत्पत्ति को लेकर विद्वान एकमत नहीं हैं | ‘रास’, ‘रासउ’, ‘रासु’, “रासह’ और ‘रासो’ आदि शब्द एक-दूसरे के पर्यायवाची शब्दों के रूप में प्रयुक्त होते रहे हैं। … Read more

घनानंद के पद

( यहाँ KU / MDU / CDLU विश्वविद्यालयों द्वारा निर्धारित बी ए प्रथम सेमेस्टर -हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘मध्यकालीन काव्य कुंज’ में संकलित घनानंद के पद दिए गए हैं | ) 1 झलकै अति सुन्दर आनन गौर, छके दृग राजति काननि छ्वै ।हंसि बोलन में छबि-फूलन की, बरखा उर ऊपर जाति है ह्वै | लोल … Read more

रसखान के पद

रसखान के पद एकनिष्ठ भक्ति और रसमयता के लिए प्रसिद्ध हैं | यहाँ हरियाणा के विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा निर्धारित बी ए प्रथम सेमेस्टर ( हिंदी ) पाठ्य पुस्तक ‘मध्यकालीन काव्य कुंज’ में संकलित रसखान के पद दिए गए हैं | 1 मानुष हौं तो वही रसखानि बसौं ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन।जो पशु हौं तो … Read more

मीराबाई के पद

1 मण थे परस हरि रे चरण।सुभग सीतल कँवल कोमल, जगत ज्वाला हरण।इण चरण प्रह्लाद परस्यां, इन्द्र पदवी धरण।इण चरण ध्रुव अटल करस्यां, सरण असरण सरण।इण चरण ब्रह्मांड मेटयां, नखसियां सिरी भरण।इण चरण कलिया नाथ्यां गोपलीला करण।इण चरण गोबर धन धारयां, गरब मघवा हरण।दासि मीरां लाल गिरधर, अगम तारण तरण।। प्रसंग — प्रस्तुत पद्यांश हमारी … Read more

रसखान का साहित्यिक परिचय

जीवन-परिचय रसखान भक्तिकालीन कृष्ण काव्यधारा के प्रमुख कवि थे | उनका जन्म सन 1533 ईस्वी में एक पठान परिवार में उत्तर प्रदेश के हरदोई जिला में पिहानी नामक स्थान पर हुआ | इनका मूल नाम सैयद इब्राहिम था लेकिन इनके काव्य में अत्यधिक रसिकता होने के कारण लोग इन्हें रसखान कहने लगे | वल्लभाचार्य के … Read more

घनानंद का साहित्यिक परिचय ( Ghananand Ka Sahityik Parichay )

जीवन परिचय घनानंद रीतिकाल की रीतिमुक्त काव्यधारा के प्रसिद्ध कवि हैं | इनका जन्म 1683 ईस्वी में माना जाता है | इनके जन्म स्थान के विषय में विद्वानों में मतभेद है | अधिकांश विद्वानों के अनुसार घनानंद का जन्म उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में हुआ था | वे मुगल बादशाह मुहम्मदशाह रंगीला के दरबार … Read more

तुलसीदास के पदों की व्याख्या

( यहाँ KU /MDU /CDLU द्वारा निर्धारित बी ए प्रथम सेमेस्टर – हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘मध्यकालीन काव्य कुंज’ में संकलित तुलसीदास के पदों की सप्रसंग व्याख्या की गई है | ) दैहिक दैविक भौतिक तापा | राम राज नहिं काहुहि ब्यापा || सब नर करहिं परस्पर प्रीति | चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती || … Read more

मीराबाई का साहित्यिक परिचय

मीराबाई भक्तिकालीन हिंदी साहित्य की सगुण भक्तिधारा की कृष्णकाव्य धारा की प्रमुख कवयित्री हैं | मीराबाई का साहित्यिक परिचय निम्नलिखित बिंदुओं में दिया जा सकता है — जीवन-परिचय मीराबाई भक्तिकालीन कृष्णकाव्य धारा की प्रसिद्ध कवियत्री हैं | इनके आराध्य श्री कृष्ण हैं | इनका जन्म राव दादू जी के चौथे पुत्र रतन सिंह के घर … Read more

कवि बिहारी का साहित्यिक परिचय ( Kavi Bihari Ka Sahityik Parichay )

जीवन-परिचय कवि बिहारी रीतिकाल के सबसे लोकप्रिय कवि माने जाते हैं | इनका जन्म संवत् 1652 ( 1595 ईस्वी ) में ग्वालियर के निकट बसुआ गोविंदपुर गाँव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था | इनके पिता का नाम केशवराय था इन्होंने रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि केशवदास से काव्य और शास्त्र की शिक्षा ग्रहण की … Read more

सूरदास के पदों की व्याख्या ( बी ए हिंदी – प्रथम सेमेस्टर )

यहाँ हरियाणा के विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा बी ए प्रथम सेमेस्टर ( हिंदी ) की पाठ्य पुस्तक ‘मध्यकालीन काव्य कुंज’ में संकलित सूरदास के पदों की सप्रसंग व्याख्या दी गई है | अविगत-गति कछु कहत न आवै | ज्यों गूंगे मीठे फल कौ रस अन्तरगत ही भावै | परम स्वाद सबही सु निरन्तर अमित तोष उपजावै … Read more

कवि बिहारी की काव्य-कला ( Kavi Bihari Ki Kavya Kala )

बिहारी रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि हैं | रीतिसिद्ध काव्य-परंपरा के यह सर्वश्रेष्ठ कवि माने जाते हैं | इनकी एक मात्र रचना ‘बिहारी सतसई’ है जिसमें 713 दोहे हैं | कवि बिहारी की काव्य-कला का विवेचन भाव पक्ष और कला पक्ष इन दो दृष्टिकोणों से किया जा सकता है | कवि बिहारी का भाव पक्ष या … Read more

बिहारीलाल के दोहों की व्याख्या ( Biharilal Ke Dohon Ki Vyakhya )

( यहाँ कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा निर्धारित हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘मध्यकालीन काव्य कुंज’ में संकलित बिहारीलाल के दोहों की व्याख्या दी गई है | ) मेरी भव बाधा हरौ, राधा नागरिक सोइ | जा तन की झाईं परैं स्यामु हरित-दुति होइ || (1) प्रसंग — प्रस्तुत दोहा हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘मध्यकालीन काव्य कुंज’ में संकलित … Read more

कबीरदास के पदों की व्याख्या ( बी ए – हिंदी, प्रथम सेमेस्टर )

( यहाँ KU, MDU, CDLU विश्वविद्यालयों द्वारा बी ए प्रथम सेमेस्टर -हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘मध्यकालीन काव्य कुंज’ में संकलित ‘कबीरदास’ के पदों की सप्रसंग व्याख्या दी गई है | ) सतगुरु की महिमा अनंत, अनंत किया उपगार | लोचन अनंत उघाड़िया, अनंत दिखावणहार || (1) प्रसंग — प्रस्तुत पंक्तियां हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘मध्यकालीन … Read more

आदिकाल का नामकरण और सीमा निर्धारण ( Aadikaal Ka Naamkaran aur Seema Nirdharan)

आदिकाल का नामकरण और सीमा-निर्धारण विद्वानों के बीच विवाद का विषय है | हिंदी साहित्य के इतिहास पर विमर्श करने वाले विद्वानों एवं लेखकों ने इस संबंध में अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए हैं | मिश्र बंधुओं, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, महावीर प्रसाद द्विवेदी आदि विद्वानों ने इस विषय में अपने अलग-अलग विचार … Read more

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