चिट्ठियां ( Chithiyan ) : रघुवीर सहाय
आखिर जब कवि लिखने बैठा तो कि वह चिट्ठी लिखता है सब नृशंसताएं सामान्य हैं इक्कीसवीं वीं सदी में पुराणपंथी प्रसन्न हैं बीसवीं शताब्दी शेष होने लगी सब मेरे लोग एक-एक कर मरते हैं बार-बार बचे हुए लोगों की सूची बनाता हूँ जो बाकी बचे हुए लोगों के अते-पते बतलाएं जिससे ये चिट्ठियां मैं उनको … Read more