मेरे राम का मुकुट भीग रहा है : विद्यानिवास मिश्र

( यहाँ कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा निर्धारित बी ए हिंदी – षष्ठ सेमेस्टर की पाठ्य पुस्तक ‘नव्यतर गद्य गौरव’ में संकलित विद्यानिवास मिश्र द्वारा रचित ललित निबंध ‘मेरे राम का मुकुट भीग रहा है’ का मूल पाठ तथा मूल भाव या निहित संदेश दिया गया है |) महीनों से मन बेहद-बेहद उदास है । उदासी की … Read more

भाषा का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं एवं स्वरूप

भाषा का मूल अर्थ – बोलना या कहना है | साधारण शब्दों में मानव-मुख से निकलने वाली ध्वनियों को भाषा कहा जाता है | लेकिन मानव मुख से निकलने वाली प्रत्येक ध्वनि भाषा नहीं होती | वास्तव में मानव-मुख से निकलने वाली वह सार्थक ध्वनियां जो विचारों या भावों का संप्रेषण करती हैं, भाषा कहलाती … Read more

देवदारु ( आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी )

पता नहीं किसने इस पेड़ का नाम ‘देवदारु’ रख दिया था, नाम निश्चय ही पुराना है, कालिदास से भी पुराना, महाभारत से भी पुराना | सीधे ऊपर की ओर उठता है, इतना ऊपर की पास वाली चोटी के भी ऊपर उठ जाता है, एकदम द्युलोक ( स्वर्गलोक, आकाश या अंतरिक्ष ) को भेद करने की … Read more

भाषा के विविध रूप / भेद / प्रकार ( Bhasha Ke Vividh Roop / Bhed / Prakar )

सामान्य शब्दों में भाषा शब्द का प्रयोग मनुष्य की व्यक्त वाणी के लिए किया जाता है | भाषा वह साधन है जिसके द्वारा मनुष्य अपने विचारों को दूसरों तक पहुंचाता है और दूसरों के विचार समझ पाता है | यद्यपि कुछ कार्य संकेतों और शारीरिक कष्टों के द्वारा किया जा सकता है लेकिन यह पर्याप्त … Read more

पारिभाषिक शब्दावली : अर्थ, परिभाषा एवं स्वरूप

पारिभाषिक शब्द अंग्रेजी के ‘टेक्निकल’ शब्द का हिंदी अनुवाद है | ‘टेक्निकल’ शब्द ग्रीक भाषा के ‘टेक्निक्स’ शब्द से बना है, जिसका अर्थ है – विशिष्ट कला का या विज्ञान का या कला के बारे में |इस आधार पर पारिभाषिक शब्द वे शब्द होते हैं, जो किसी विशिष्ट कला या विज्ञान की किसी शाखा से … Read more

गिल्लू : महादेवी वर्मा ( Gillu : Mahadevi Verma )

( गिल्लू ( महादेवी वर्मा ) एक संस्मरणात्मक निबंध है जिसमें लेखिका ने अपनी पालतू गिलहरी के जीवन – प्रसंगों का चित्रण किया है | ) सोनजुही में आज एक पीली कली लगी है | इसे देखकर अनायास ही उस छोटे जीव का स्मरण हो आया, जो इस लता की सघन हरीतिमा में छिप कर … Read more

उत्साह : आचार्य रामचंद्र शुक्ल ( Utsah : Acharya Ramchandra Shukla )

दुख के वर्ग में जो स्थान भय का है, वही स्थान आनंद-वर्ग में उत्साह का है | दुख हम प्रस्तुत कठिन स्थिति के नियम से विशेष रूप में दुखी और कभी-कभी उस स्थिति से अपने को दूर रखने के लिए प्रयत्नवान् भी होते हैं | उत्साह में हम आने वाली कठिन स्थिति के भीतर साहस … Read more

पत्रकारिता के प्रकार / क्षेत्र या आयाम

आरंभ में पत्रकारिता केवल समाचारों के संकलन व प्रकाशन तक ही सीमित थी परंतु बढ़ती हुई जनसंख्या, लोगों की बदलती रुचियों, सामाजिक-राजनीतिक परिवर्तनों और विज्ञान के नए-नए आविष्कारों ने पत्रकारिता को विविध आयामी बना दिया है | आज पत्रकारिता का क्षेत्र केवल समाचार पत्र तक सीमित न रहकर दूरदर्शन, आकाशवाणी, चलचित्र, इंटरनेट आदि क्षेत्रों तक … Read more

कवि बिहारी की काव्य-कला ( Kavi Bihari Ki Kavya Kala )

बिहारी रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि हैं | रीतिसिद्ध काव्य-परंपरा के यह सर्वश्रेष्ठ कवि माने जाते हैं | इनकी एक मात्र रचना ‘बिहारी सतसई’ है जिसमें 713 दोहे हैं | कवि बिहारी की काव्य-कला का विवेचन भाव पक्ष और कला पक्ष इन दो दृष्टिकोणों से किया जा सकता है | कवि बिहारी का भाव पक्ष या … Read more

बिहारीलाल के दोहों की व्याख्या ( Biharilal Ke Dohon Ki Vyakhya )

( यहाँ कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा निर्धारित हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘मध्यकालीन काव्य कुंज’ में संकलित बिहारीलाल के दोहों की व्याख्या दी गई है | ) मेरी भव बाधा हरौ, राधा नागरिक सोइ | जा तन की झाईं परैं स्यामु हरित-दुति होइ || (1) प्रसंग — प्रस्तुत दोहा हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘मध्यकालीन काव्य कुंज’ में संकलित … Read more

कबीरदास के पदों की व्याख्या ( बी ए – हिंदी, प्रथम सेमेस्टर )

( यहाँ KU, MDU, CDLU विश्वविद्यालयों द्वारा बी ए प्रथम सेमेस्टर -हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘मध्यकालीन काव्य कुंज’ में संकलित ‘कबीरदास’ के पदों की सप्रसंग व्याख्या दी गई है | ) सतगुरु की महिमा अनंत, अनंत किया उपगार | लोचन अनंत उघाड़िया, अनंत दिखावणहार || (1) प्रसंग — प्रस्तुत पंक्तियां हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘मध्यकालीन … Read more

स्वतंत्र जुबान ( Swatantra Juban ) : लीलाधर जगूड़ी

मेरी कल्पना में एक ऐसा भी दृश्य आया आत्मा के खोजी कुत्ते सफेद रंग को घसीट कर ला रहे थे और सफेद रंग के काले खून में घुसे हुए पक्ष व विपक्ष बाहर न आने के लिए छटपटा रहे थे एक आदमी जो हर बार मेरे साथ उठता-बैठता है अमूमन हम एक-दूसरे की जासूसी करते … Read more

परिवार की खाड़ी में ( Parivar Ki Khadi Mein ) : लीलाधर जगूड़ी

बिस्तरे के मुहाने पर जंगली नदी का शोर हो रहा है और थपेड़े मकान की नींव से मेरे तकिये तक आ रहे हैं काँपते हुए पेड़ों को – भांपते हुए पत्नी ने कहा – आँधी और फिर बक्से के पास लौट आयी | 1️⃣ मेरे उठते ही खिड़की के रास्ते कमरे से हाथ मिला रहा … Read more

वृक्ष हत्या ( Vriksh Hatya ) : लीलाधर जगूड़ी

मुझे भी देखने पड़ेंगे अपनी छोटी-छोटी आंखों से बड़े-बड़े कौतुक मैं ही हूँ वह स्प्रिंगदार कुर्सी के सामने टंगा हुआ वसंत का चित्र मुझे ही झाड़ने पड़ेंगे सब पत्ते मुझे ही उघाड़नी पड़ेंगी एक-एक ठूंठ की गयी-गुजरी आँखें सभ्यता फैलाने वाले एक आदमी से मिलकर ऐसा सोचते हुए मैं जब लौट रहा था 15 तारीख … Read more

जब आदमी आदमी नहीं रह पाता ( Jab Aadami Aadami Nahin Rah Pata ) : कुंवर नारायण

दरअसल मैं वह आदमी नहीं हूँ जिसे आपने जमीन पर छटपटाते हुए देखा था | आपने मुझे भागते हुए देखा होगा दर्द से हमदर्द की ओर | 1️⃣ वक्त बुरा हो तो आदमी आदमी नहीं रह पाता | वह भी मेरी ही और आपकी तरह आदमी रहा होगा | लेकिन आपको यकीन दिलाता हूँ वह … Read more

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