एक जले हुए मकान के सामने ( Ek Jale Hue Makan Ke Samne ) : कुंवर नारायण
शायद वह जीवित है अभी, मैंने सोचा इसने इनकार किया – मेरा तो कत्ल हो चुका है कभी का ! साफ दिखाई दे रहे थे उसकी खुली छाती पर गोलियों के निशान | 1️⃣ तब भी उसने कहा – ऐसे ही लोग थे, ऐसे ही शहर रुकते ही नहीं किसी तरह मेरी हत्याओं के सिलसिले … Read more