साये में धूप ( दुष्यंत कुमार )
( यहाँ NCERT की हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘आरोह भाग 1’ में संकलित गज़ल ‘साये में धूप’ की व्याख्या तथा प्रतिपाद्य दिया गया है | ) कहाँ तो तय था चिरागाँ हरेक घर के लिए, कहाँ चिराग मयस्सर नहीं शहर के लिए | 1️⃣ यहाँ दरख़्तों के साये में धूप लगती है, चलो यहाँ से … Read more