सहर्ष स्वीकारा है ( गजानन माधव मुक्तिबोध )

जिंदगी में जो कुछ है, जो भी है सहर्ष स्वीकारा है ; इसलिए कि जो कुछ भी मेरा है वह तुम्हें प्यारा है | गरबीली गरीबी यह, ये गंभीर अनुभव सब यह विचार-वैभव सब दृढ़ता यह, भीतर की सरिता यह अभिनव सब मौलिक है, मौलिक है इसलिए कि पल-पल में जो कुछ भी जाग्रत है … Read more

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