कविता के बहाने ( कुंवर नारायण )

( यहाँ NCERT हिंदी की 12वीं की पाठ्य पुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित कुंवर नारायण द्वारा रचित कविता ‘कविता के बहाने’ की सप्रसंग व्याख्या तथा अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं | ) कविता एक उड़ान है चिड़िया के बहाने कविता की उड़ान भला चिड़िया क्या जाने बाहर भीतर इस घर, उस … Read more

बात सीधी थी पर ( कुंवर नारायण )

( ‘बात सीधी थी पर’ कुंवर नारायण द्वारा रचित कविता है जिसमें भाषा के सरल, सहज व स्वाभाविक प्रयोग का संदेश दिया गया है | कवि के मतानुसार कभी-कभी आकर्षक शब्दों के चयन से भाषा अपने उद्देश्य से भटक जाती है और भावाभिव्यक्तति नहीं हो पाती | ) बात सीधी थी पर एक बार भाषा … Read more

जब आदमी आदमी नहीं रह पाता ( Jab Aadami Aadami Nahin Rah Pata ) : कुंवर नारायण

दरअसल मैं वह आदमी नहीं हूँ जिसे आपने जमीन पर छटपटाते हुए देखा था | आपने मुझे भागते हुए देखा होगा दर्द से हमदर्द की ओर | 1️⃣ वक्त बुरा हो तो आदमी आदमी नहीं रह पाता | वह भी मेरी ही और आपकी तरह आदमी रहा होगा | लेकिन आपको यकीन दिलाता हूँ वह … Read more

एक जले हुए मकान के सामने ( Ek Jale Hue Makan Ke Samne ) : कुंवर नारायण

शायद वह जीवित है अभी, मैंने सोचा इसने इनकार किया – मेरा तो कत्ल हो चुका है कभी का ! साफ दिखाई दे रहे थे उसकी खुली छाती पर गोलियों के निशान | 1️⃣ तब भी उसने कहा – ऐसे ही लोग थे, ऐसे ही शहर रुकते ही नहीं किसी तरह मेरी हत्याओं के सिलसिले … Read more

चक्रव्यूह ( Chakravyuh ) : कुंवर नारायण

युद्ध की प्रतिध्वनि जगाकर जो हजारों बार दुहराई गई, रक्त की विरुदावली कुछ और रंग कर लोरियों के संग जो गाई गई – उसी इतिहास की स्मृति, उसी संसार में लौटे हुए, ओ योद्धा, तुम कौन हो? 1️⃣ मैं नवागत वह अजित अभिमन्यु हूँ प्रारब्ध जिसका गर्भ ही से हो चुका निश्चित परिचित जिंदगी के … Read more

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