साधारणीकरण : अर्थ, परिभाषा एवं स्वरूप

साधारणीकरण के सिद्धांत की चर्चा रस-निष्पत्ति के संदर्भ में ही की जाती है | आचार्य भरतमुनि के रस सूत्र – ‘विभावानुभावव्यभिचारिसंयोगादरसनिष्पत्ति:’ – की व्याख्या करते हुए भट्टनायक ने इस सिद्धांत का प्रवर्त्तन किया | पाश्चात्य विचारकों टी एस इलियट आदि ने भी इस सिद्धांत के प्रति अपनी आस्था व्यक्त की है | विद्वान प्रायः यह … Read more

काव्य-प्रयोजन : अर्थ, परिभाषा, स्वरूप ( Kavya Prayojan : Arth, Paribhasha, Swaroop )

काव्य सोद्देश्य रचना होती है | वैसे तो संसार में प्रत्येक घटना व प्रत्येक कार्य का कोई न कोई उद्देश्य आवश्यक होता है लेकिन बिना उद्देश्य ( प्रयोजन ) के काव्य की कल्पना नहीं की जा सकती | सामान्यत: काव्य-रचना के उपरांत जो फल या परिणाम प्राप्त होता है, उसे काव्य-प्रयोजन कहा जाता है | … Read more

कृष्ण काव्य : परंपरा एवं प्रवृत्तियां/ विशेषताएं ( Krishna Kavya Parampara Evam Pravrittiyan / Visheshtaen )

कृष्ण काव्य : परंपरा एवं प्रवृत्तियां / विशेषताएँ  ( Krishna Kavya : Parampara Evam Pravrittiyan/Visheshtayen )   हिंदी साहित्य के इतिहास को मोटे तौर पर तीन भागों में बांटा जा सकता है – आदिकाल, मध्यकाल और आधुनिक काल | हिंदी साहित्य-इतिहास के काल विभाजन और नामकरण को निम्नलिखित आलेख के माध्यम से भली  प्रकार समझा जा … Read more

मैथिलीशरण गुप्त ( Maithilisharan Gupt )

जन्म – 3 अगस्त, 1886 ( चिरगांव, झाँसी )प्रति वर्ष 3 अगस्त को उनकी जयंती ‘कवि दिवस’ के रूप में मनायी जाती है | लक्ष्मीकांत शर्मा ने उनकी जयंती को कवि दिवस के रूप में मनाने का विचार दिया था | मृत्यु – 12 दिसम्बर, 1964 ( झाँसी ) पिता – रामचरण गुप्त ( कनकलता … Read more

मैला आँचल : नायकत्व पर विचार ( Maila Aanchal : Nayaktv Par Vichar )

मैला आंचल ( Maila Aanchal ) फणीश्वर नाथ रेणु ( Fanishwarnath Renu ) द्वारा रचित एक प्रसिद्ध आंचलिक उपन्यास है | अनेक विद्वान मैला आंचल उपन्यास को न केवल आंचलिक उपन्यास धारा का सर्वश्रेष्ठ उपन्यास मानते हैं बल्कि संपूर्ण हिंदी साहित्य में इसे एक विशिष्ट स्थान प्रदान करते हैं | यही कारण है कि यह … Read more

‘मैला आँचल’ उपन्यास में निरूपित लोक संस्कृति ( Maila Aanchal Upanyas Mein Nirupit Lok Sanskriti )

मैला आंचल( Maila Aanchal ) फणीश्वर नाथ रेणु ( Fanishwarnath Renu ) द्वारा रचित एक प्रसिद्ध आंचलिक उपन्यास है | इस उपन्यास का प्रकाशन 1954 ईस्वी में हुआ | इसे हिंदी साहित्य का सर्वश्रेष्ठ आंचलिक उपन्यास माना जाता है | आंचलिक उपन्यास के मुख्य रूप से दो प्रधान लक्षण माने जाते हैं – 1. किसी … Read more

मैला आंचल में आंचलिकता ( Maila Aanchal Me Aanchlikta )

मैला आँचल ( Maila Aanchal ) फणीश्वरनाथ रेणु ( Fanishwarnath Renu ) द्वारा रचित हिंदी के प्रसिद्ध उपन्यासों में से एक है | यह उपन्यास 1954 ईo. में प्रकाशित हुआ | आंचलिक उपन्यासधारा में मैला आँचल को सर्वश्रेष्ठ उपन्यास माना जाता है | मैला आंचल ( Maila Aanchal ) की आंचलिकता पर विचार करने से … Read more

गोदान में ग्रामीण व नागरिक कथाओं का पारस्परिक संबंध ( Godan : Gramin V Nagrik Kathaon Ka Parasparik Sambandh )

गोदान ( Godan ) मुंशी प्रेमचंद जी की एक प्रौढ़ रचना है | इसमें मुंशी प्रेमचंद ( Premchand ) जी ने अपने युग का यथार्थ वर्णन किया है | प्रेमचंद कलम के सिपाही माने जाते हैं | वे अपनी लेखनी के माध्यम से ग्रामीण समस्याओं को सुलझा कर नारकीय जीवन जीने वाले ग्रामीणों को दुखों … Read more

गोदान में आदर्शोन्मुख यथार्थवाद ( Godan Mein Aadarshonmukh Yatharthvad )

हिंदी साहित्य में प्रेमचंद ( Premchand ) को उपन्यास सम्राट के नाम से जाना जाता है | गोदान ( Godan ) उनकी प्रौढ़ रचना मानी जाती है | यह उपन्यास सन 1936 में प्रकाशित हुआ | उनका यह उपन्यास सबसे अधिक आलोचना का विषय रहा |उनके कुछ उपन्यास ठेठ यथार्थवाद लिए हुए हैं लेकिन गोदान … Read more

गोदान में कृषक जीवन ( Godan Mein Krishak Jivan )

गोदान मुंशी प्रेमचंद जी का सर्वाधिक प्रसिद्ध उपन्यास है | गोदान ग्रामीण जीवन की कहानी है जिसका नायक होरी एक निर्धन किसान है | होरी की कथा वास्तव में तत्कालीन भारत के अनेक किसानों की दुखद कथा है | किसान अपने परिवार के साथ खेतों में जी तोड़ मेहनत करते हैं परंतु समाज के शोषक … Read more

गोदान का मूल भाव / उद्देश्य या समस्याएं ( Godan Ka Mool Bhav / Uddeshy Ya Samasyayen )

साहित्यकार जब किसी विषय पर लिखता है तो उसका कोई ना कोई उद्देश्य अवश्य होता है फिर उपन्यास तो साहित्य की एक ऐसी विधा है जो जीवन के विविध रंगों को हमारे सामने प्रस्तुत करती है | उपन्यास में जीवन की विभिन्न स्थितियों का वर्णन होता है | वे स्थितियां-परिस्थितियां अच्छी भी हो सकती हैं … Read more

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