पल्लवन : अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं और नियम ( Pallavan : Arth, Paribhasha, Visheshtayen Aur Niyam )

पल्लवन किसी भाव का विस्तार है जो उसे समझने में सहायक सिद्ध होता है | विद्वान, संत-महात्मा आदि समास -शैली और प्रतीकात्मक शब्दों का प्रयोग करते हुए ऐसी गंभीर बात कह देते हैं जो उनके लिए तो सहज-सरल होती है पर सामान्य व्यक्ति के लिए उसके भाव को समझने में कठिनाई होती है | ऐसे … Read more

संक्षेपण : अर्थ, विशेषताएं और नियम ( Sankshepan : Arth, Visheshtayen Aur Niyam )

संक्षेपण एक कला है जिसका संबंध किसी विस्तृत विषय वस्तु या संदर्भ को संक्षेप में प्रस्तुत करने से होता है | विभिन्न संस्थानों, कार्यालयों और विद्यार्थियों के लिए इसका विशेष महत्व है | इसके अंतर्गत अनावश्यक और अप्रासंगिक अंशों को छोड़कर मूल भाव को ध्यान में रखकर उपयोगी तथ्यों को संक्षेप में प्रकट किया जाता … Read more

प्रयोजनमूलक हिंदी का स्वरूप ( Prayojanmoolak Hindi Ka Swaroop )

हम अपने दैनिक कार्यकलापों में जिस भाषा का प्रयोग करते हैं वह सामान्य व्यवहार की भाषा होती है परंतु विभिन्न औपचारिक कार्यों के लिए जैसे कार्यालय, बैंकिंग, तकनीकी आदि क्षेत्रों में परस्पर पत्र-व्यवहार के लिए जिस भाषा का प्रयोग किया जाता है, वह प्रयोजनमूलक भाषा कहलाती है | इस प्रकार किसी विशिष्ट प्रयोजन के लिए … Read more

प्रयोजनमूलक भाषा का अर्थ व प्रयोजनमूलक हिंदी का वर्गीकरण ( Prayojanmulak Hindi Ka Vargikaran )

हम अपने दैनिक कार्यकलापों में जिस भाषा का प्रयोग करते हैं वह सामान्य व्यवहार की भाषा होती है परंतु विभिन्न औपचारिक कार्यों के लिए जैसे कार्यालय, बैंकिंग, तकनीकी आदि क्षेत्रों में परस्पर पत्र-व्यवहार के लिए जिस भाषा का प्रयोग किया जाता है, वह प्रयोजनमूलक भाषा कहलाती है | इस प्रकार किसी विशिष्ट प्रयोजन के लिए … Read more

जैनेंद्र कुमार के उपन्यास ( Jainendra Kumar Ke Upanyas )

जैनेंद्र कुमार ( 2 जनवरी, 1905 – 24 दिसंबर, 1988 ) हिंदी के प्रसिद्ध उपन्यासकार हैं उन्होंने हिंदी उपन्यास को नई पहचान दिलाई उनके प्रमुख उपन्यास निम्नलिखित हैंं : – 🔹 परख ( 1929 ) – यह जैनेन्द्र कुमार द्वारा रचित प्रथम उपन्यास है | कट्टो, सत्यधन, बिहारी और गरिमा इस उपन्यास के प्रमुुुख पात्र … Read more

उपेंद्रनाथ अश्क के नाटक ( Upendranath Ashk Ke Natak )

उपेंद्रनाथ अश्क ( Upendranath Ashk ) छायावादोत्तर काल के प्रसिद्ध नाटककार हैं | इन्होंने हिंदी नाटक को नई पहचान दी | इन्होंने अपनी लेखनी से अनेक नाटकों की रचना की जो हिंदी नाट्य विधा को नए आयाम प्रदान करते हैं | अश्क़ जी के कुछ प्रसिद्ध नाटक निम्नलिखित हैं :- जय-पराजय ( 1937 ), वैश्या … Read more

भारतेंदु हरिश्चंद्र के नाटक ( Bhartendu Harishchandra Ke Natak )

भारतेंदु हरिश्चंद्र ( Bhartendu Harishchandra, 9 september, 1850-6January, 1885) हिंदी के आरंभिक नाटककार हैं | उन्होंने हिंदी नाटक को नई पहचान दी | उन्होंने अपनी लेखनी से अनेक उत्कृष्ट नाटकों की रचना की जिनमें से कुछ मौलिक नाटक है तो कुछ अनूदित | भारतेंदु हरिश्चंद्र द्वारा रचित नाटकों को दो भागों में बांटा जा सकता … Read more

पथ के साथी : गद्य शैली/ भाषा शैली ( Path Ke Sathi : Gadya Shaili / Bhasha Shaili )

पथ के साथी ( Path Ke Sathi ) महादेवी वर्मा ( Mahadevi Varma ) द्वारा रचित संस्मरणात्मक कृति है | इस रचना में उन्होंने अपने युग के सात महान साहित्यकारों से संबंधित संस्मरण प्रस्तुत किए हैं | इस रचना में महादेवी वर्मा की शैली भी निराली है और भाषा भी | जिस कृति की भाषा-शैली … Read more

पथ के साथी : साहित्य-रूप पर विचार ( Path Ke Sathi : Sahitya Roop Par Vichar )

हिंदी साहित्य में कुछ ऐसी विधाएँ भी हैं जो भिन्न होते हुए भी कुछ न कुछ समानताएं रखती हैं | हिंदी साहित्य में संस्मरण, रेखाचित्र व चरित्र-प्रधान कहानीयाँ ऐसी ही विधाएं हैं | प्रसिद्ध गद्य लेखिका व कवियत्री महादेवी वर्मा ( Mahadevi Verma ) ने ऐसी तीन रचनाएं लिखी हैं – स्मृति की रेखाएं, अतीत … Read more

मैला आँचल : नायकत्व पर विचार ( Maila Aanchal : Nayaktv Par Vichar )

मैला आंचल ( Maila Aanchal ) फणीश्वर नाथ रेणु ( Fanishwarnath Renu ) द्वारा रचित एक प्रसिद्ध आंचलिक उपन्यास है | अनेक विद्वान मैला आंचल उपन्यास को न केवल आंचलिक उपन्यास धारा का सर्वश्रेष्ठ उपन्यास मानते हैं बल्कि संपूर्ण हिंदी साहित्य में इसे एक विशिष्ट स्थान प्रदान करते हैं | यही कारण है कि यह … Read more

‘मैला आँचल’ उपन्यास में निरूपित लोक संस्कृति ( Maila Aanchal Upanyas Mein Nirupit Lok Sanskriti )

मैला आंचल( Maila Aanchal ) फणीश्वर नाथ रेणु ( Fanishwarnath Renu ) द्वारा रचित एक प्रसिद्ध आंचलिक उपन्यास है | इस उपन्यास का प्रकाशन 1954 ईस्वी में हुआ | इसे हिंदी साहित्य का सर्वश्रेष्ठ आंचलिक उपन्यास माना जाता है | आंचलिक उपन्यास के मुख्य रूप से दो प्रधान लक्षण माने जाते हैं – 1. किसी … Read more

मैला आंचल में आंचलिकता ( Maila Aanchal Me Aanchlikta )

मैला आँचल ( Maila Aanchal ) फणीश्वरनाथ रेणु ( Fanishwarnath Renu ) द्वारा रचित हिंदी के प्रसिद्ध उपन्यासों में से एक है | यह उपन्यास 1954 ईo. में प्रकाशित हुआ | आंचलिक उपन्यासधारा में मैला आँचल को सर्वश्रेष्ठ उपन्यास माना जाता है | मैला आंचल ( Maila Aanchal ) की आंचलिकता पर विचार करने से … Read more

गोदान में ग्रामीण व नागरिक कथाओं का पारस्परिक संबंध ( Godan : Gramin V Nagrik Kathaon Ka Parasparik Sambandh )

गोदान ( Godan ) मुंशी प्रेमचंद जी की एक प्रौढ़ रचना है | इसमें मुंशी प्रेमचंद ( Premchand ) जी ने अपने युग का यथार्थ वर्णन किया है | प्रेमचंद कलम के सिपाही माने जाते हैं | वे अपनी लेखनी के माध्यम से ग्रामीण समस्याओं को सुलझा कर नारकीय जीवन जीने वाले ग्रामीणों को दुखों … Read more

गोदान में आदर्शोन्मुख यथार्थवाद ( Godan Mein Aadarshonmukh Yatharthvad )

हिंदी साहित्य में प्रेमचंद ( Premchand ) को उपन्यास सम्राट के नाम से जाना जाता है | गोदान ( Godan ) उनकी प्रौढ़ रचना मानी जाती है | यह उपन्यास सन 1936 में प्रकाशित हुआ | उनका यह उपन्यास सबसे अधिक आलोचना का विषय रहा |उनके कुछ उपन्यास ठेठ यथार्थवाद लिए हुए हैं लेकिन गोदान … Read more

गोदान में कृषक जीवन ( Godan Mein Krishak Jivan )

गोदान मुंशी प्रेमचंद जी का सर्वाधिक प्रसिद्ध उपन्यास है | गोदान ग्रामीण जीवन की कहानी है जिसका नायक होरी एक निर्धन किसान है | होरी की कथा वास्तव में तत्कालीन भारत के अनेक किसानों की दुखद कथा है | किसान अपने परिवार के साथ खेतों में जी तोड़ मेहनत करते हैं परंतु समाज के शोषक … Read more

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