वाग्यंत्र का अर्थ व विभिन्न वागवयवों के कार्य ( Vagyantra ka Arth v Vibhinn Vagangon Ke Karya )

     ⚫️ ध्वनि उत्पादन में वाक अवयवों की भूमिका ⚫️ ( Dhvani Utpadan Men Vaak Avyavon Ki Bhumika ) ◼️ मानव जब ध्वनि का उच्चारण करता है तो वह अपने वाग्यंत्रों के विभिन्न वागगों का प्रयोग करता है | औच्चारिकी नामक शाखा के अंतर्गत हम वागंगों अथवा वागवयवों का अध्ययन करते हैं | वागवयव  दो … Read more

भाषा : अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं एवं स्वरूप ( Bhasha :Arth, Paribhasha, Visheshtayen Evam Svaroop )

    ⚫️ भाषा : अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं एवं स्वरूप ⚫️( Bhasha : Arth, Paribhasha, Visheshtayen Evam Svaroop ) भाषा मानव का अर्जित संस्कार है जिसे वह जन्म से प्राप्त नहीं करता | मानव जिस समुदाय में रहता है उसी से भाषा को अर्जित करता है | उदाहरण के रूप में यदि बच्चे का जन्म … Read more

भाषा विज्ञान के अध्ययन की दिशाएं ( Bhasha Vigyan Ke Adhyayan Ki Dishayen )

 भाषा विज्ञान के अध्ययन की दिशाएं / पद्धतियां ( Bhasha Vigyan Ke Adhyayan Ki Dishayen/ Padhtiyan )    मनुष्य का प्रत्येक कार्य सोद्देश्य होता है बिना उद्देश्य के वह कोई कार्य नहीं करता | भाषा का अध्ययन भी एक निश्चित उद्देश्य से किया जाता है |  भाषा के अध्ययन का अर्थ होता है – भाषा के … Read more

प्रयोगवादी कविता ( नई कविता ) की सामान्य प्रवृतियां ( Prayogvadi kaviata / Nai Kavita Ki Samanya Pravrittiyan )

      प्रयोगवादी कविता की सामान्य प्रवृतियां      ( Prayogvadi Kavita/ Nai Kavita Ki Visheshtayen ) हिंदी साहित्य के इतिहास को मुख्यत: तीन भागों में बांटा जा सकता है आदिकाल,  मध्यकाल और आधुनिक काल | आदिकाल की समय सीमा संवत 1050 से संवत 1375 तक मानी जाती है | मध्य काल के पूर्ववर्ती … Read more

प्रगतिवाद : अर्थ, आरम्भ, प्रमुख कवि व प्रवृतियां ( Pragativad : Arth, Aarambh, Pramukh Kavi V Pravritiyan )

प्रगतिवाद ( Pragativad )   हिंदी साहित्य के इतिहास को मुख्यत: तीन भागों में बांटा जा सकता है आदिकाल,  मध्यकाल और आधुनिक काल | आदिकाल की समय सीमा संवत 1050 से संवत 1375 तक मानी जाती है | मध्य काल के पूर्ववर्ती भाग को भक्तिकाल तथा उत्तरवर्ती काल को रीतिकाल के नाम से जाना जाता … Read more

हिंदी-साहित्य के आधुनिक काल की परिस्थितियां ( Hindi Sahitya Ke Adhunik Kal Ki Paristhitiyon )

 हिंदी साहित्य के आधुनिक काल की परिस्थितियां ( Hindi Sahitya :Adhunik Kaal Ki Paristhitiyan ) हिंदी साहित्य के इतिहास को तीन भागों में बांटा जा सकता है – आदिकाल,  मध्यकाल व आधुनिक काल | आदिकाल की समय सीमा संवत 1050 से संवत 1375 तक मानी जाती है | मध्यकाल के पूर्ववर्ती भाग को भक्तिकाल ( … Read more

छायावाद : अर्थ, परिभाषा व प्रवृत्तियां ( Chhayavad : Arth, Paribhasha V Pravrittiyan )

  हिंदी साहित्य के इतिहास को मुख्यत: तीन भागों में बांटा जा सकता है आदिकाल ,  मध्यकाल और आधुनिक काल | आदिकाल की समय सीमा संवत 1050 से संवत 1375 तक मानी जाती है | मध्य काल के पूर्ववर्ती भाग को भक्तिकाल तथा उत्तरवर्ती काल को रीतिकाल के नाम से जाना जाता है | भक्तिकाल की … Read more

हिंदी साहित्य में प्रथम ( Hindi Mein Pratham )

                   ⚫️ हिंदी में प्रथम ⚫️             ( Hindi Mein Pratham ) ———————————————— 🔷 हिंदी की प्रथम रचना – श्रावकाचार ( 933 ई, रचयिता- देवसेन ) 🔷 हिंदी का प्रथम कवि-सरहपाद ( 769 ई, दोहाकोश के रचयिता ) 🔷 हिंदी का प्रथम … Read more

हिंदी कहानी : उद्भव एवं विकास ( Hindi Kahani : Udbhav Evam Vikas )

                हिंदी कहानी : उद्भव एवं विकास       ( Hindi Kahani : Udbhav Evam Vikas ) आधुनिक हिंदी कहानी का स्वरूप अंग्रेजी तथा बांग्ला कहानी से प्रभावित है |हिंदी की प्रथम कहानी को लेकर विद्वानों में मतभेद है | कुछ विद्वान इंशा अल्ला खां द्वारा रचित ‘रानी … Read more

रीतिकाल : परंपरा एवं प्रवृत्तियां ( Reetikal : Parampara Evam Pravritiyan )

             रीतिकाल : परंपरा एवं प्रवृतियां     ( Reetikal : Parampara Evam Pravrityan )   हिंदी साहित्य के इतिहास को तीन भागों में बांटा जा सकता है – आदिकाल,  मध्यकाल व आधुनिक काल | मध्यकाल के पूर्ववर्ती भाग को भक्तिकाल तथा उत्तरवर्ती काल को रीतिकाल ( Reetikal ) के नाम … Read more

रीतिसिद्ध काव्य : परंपरा एवं प्रवृत्तियां ( Reetisiddh kavya: Parampara Evam Pravritiya )

              रीतिसिद्ध काव्य परंपरा    हिंदी साहित्य के इतिहास को तीन भागों में बाँटा जा सकता है – आदिकाल, मध्यकाल व आधुनिक काल | मध्यकाल के पूर्ववर्ती काल को भक्तिकाल तथा उत्तरवर्ती काल को रीतिकाल के नाम से जाना जाता है |  रीतिकाल की समय-सीमा संवत 1700 से संवत … Read more

रीतिमुक्त काव्य : परंपरा व प्रवृत्तियां ( Reetimukt Kavya: Parampara Evam Pravrittiya )

हिंदी साहित्य के इतिहास को तीन भागों में बांटा जा सकता है अधिकार मध्यकाल और आधुनिक काल | मध्य काल के उत्तर भर्ती काल को रीतिकाल के नाम से जाना जाता है | हिंदी साहित्य में संवत 1700 से संवत 1900  तक का काल रीतिकाल है जिसमें तीन प्रकार का साहित्य मिलता है – रीतिबद्ध … Read more

रीतिकाल : समय-सीमा व नामकरण ( Reetikal: Samay Seema v Naamkaran )

रीतिकाल: समय-सीमा व नामकरण   ( Reetikal Ka Naamkaran )   हिंदी साहित्य के इतिहास को मुख्यतः तीन भागों में बाँटा जा सकता है : आदिकाल , मध्यकाल व आधुनिक काल । आदिकाल की समय सीमा संवत 1050 से स० 1375  तक माना जाता है । मध्यकाल को दो भागों में बाँटा गया है ; पूर्ववर्ती … Read more

आदिकाल की परिस्थितियां ( Aadikal Ki Paristhitiyan )

                आदिकाल की परिस्थितियां               ( Aadikal Ki Paristhitiyan ) हिंदी साहित्य के इतिहास को तीन भागों में बांटा जा सकता है : आदिकाल,  मध्यकाल और आधुनिक काल | मध्यकाल को भक्तिकाल और रीतिकाल में बांटा जा सकता है |आदिकाल की समय सीमा … Read more

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