नदी के द्वीप ( Nadi Ke Dvip ) : अज्ञेय

हम नदी के द्वीप हैं हम नहीं कहते कि हमको छोड़कर स्रोतस्विनी बह जाय | वह हमें आकार देती है | हमारे कोण, गलियां, अंतरीप, उभार, सैकत कूल, सब गोलाइयाँ उसकी गढ़ी हैं | माँ है वह | है, इसी से हम बने हैं | (1) प्रसंग — प्रस्तुत काव्यांश हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘समकालीन … Read more

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