वे आँखें ( सुमित्रानंदन पंत )
( ‘वे आँखें’ सुमित्रानंदन पंत द्वारा रचित एक प्रगतिशील कविता है जिसमें एक किसान की दयनीय स्थिति का मार्मिक चित्रण है | ) अंधकार की गुहा सरीखी उन आँखों से डरता है मन, भरा दूर तक उनमें दारुण दैन्य दुख का नीरव रोदन! वह स्वाधीन किसान रहा, अभिमान भरा आँखों में इसका, छोड़ उसे मँझधार … Read more