उड़ चल, हारिल ( Ud Chal Haaril ) : अज्ञेय

उड़ चल, हारिल, लिये हाथ में यही अकेला ओछा तिनका उषा जाग उठी प्राची में -कैसी बाट भरोसा किनका ! शक्ति रहे तेरे हाथों में – छूट ना जाय यह चाह जीवन की ; शक्ति रहे तेरे हाथों में – रुक ना जाय यह गति जीवन की ! (1) ऊपर-ऊपर-ऊपर-ऊपर-बढा चीरता चल दिक् मण्डल, अनथक … Read more

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