कॉलरिज का कल्पना सिद्धांत

कॉलरिज का कल्पना सिद्धांत पाश्चात्य काव्य-शास्त्र का महत्त्वपूर्ण सिद्धांत है | कॉलरिज रोमांटिक युग के एक महत्त्वपूर्ण कवि तथा आलोचक थे | उनका जन्म 1772 ईस्वी में हुआ। इनकी शिक्षा-दीक्षा ‘क्राइस्टस चिकित्सालय’ तथा कैम्ब्रिज में हुई। विद्यार्थी जीवन में ही कॉलरिज में एक महान् कवि एवं आलोचक के लक्षण दिखाई देने लगे थे। बचपन से … Read more

यू जी सी नेट – हिंदी ( दिसंबर – 2006)

( यहाँ यू जी सी नेट – हिंदी ( दिसंबर – 2006) के प्रश्न-पत्र को व्याख्या सहित हल किया गया है ताकि विद्यार्थियों को सम्पूर्ण जानकारी मिल सके | ) (1) खड़ी बोली कहाँ बोली जाती है? (A ) झांसी में, (B ) कानपुर में, (C ) मेरठ में, (D ) अलीगढ़ में उत्तर – … Read more

यू जी सी नेट – हिंदी ( जून – 2006)

( यहाँ यू जी सी नेट – हिंदी ( जून – 2006) के प्रश्न-पत्र को व्याख्या सहित हल किया गया है ताकि विद्यार्थियों को सम्पूर्ण जानकारी मिल सके | ) प्रश्न – 1. खड़ी बोली का प्रयोग सबसे पहले किस पुस्तक में हुआ? (A) सुखसागर(B) भक्ति सागर(C) काव्य सागर(D) प्रेमसागर उत्तर — खड़ी बोली का … Read more

मैथिलीशरण गुप्त ( Maithilisharan Gupt )

जन्म – 3 अगस्त, 1886 ( चिरगांव, झाँसी )प्रति वर्ष 3 अगस्त को उनकी जयंती ‘कवि दिवस’ के रूप में मनायी जाती है | लक्ष्मीकांत शर्मा ने उनकी जयंती को कवि दिवस के रूप में मनाने का विचार दिया था | मृत्यु – 12 दिसम्बर, 1964 ( झाँसी ) पिता – रामचरण गुप्त ( कनकलता … Read more

डॉ लक्ष्मी नारायण लाल के नाटक ( Dr. Lakshminarayan Lal Ke Natak )

डॉ लक्ष्मी नारायण लाल ( 1927 – 1987 ) स्वातंत्र्योत्तर भारत के प्रमुख नाटककार हैं | इन्होंने हिंदी नाटक को नई पहचान दिलाई | उन्होंने अपनी लेखनी से अनेक नाटकों की रचना की | उनके द्वारा रचित प्रमुख नाटक निम्नलिखित हैं :- अंधा कुआं ( 1955 ) – लक्ष्मीनारायण लाल का पहला नाटक, प्रमुख पात्र … Read more

जैनेंद्र कुमार के उपन्यास ( Jainendra Kumar Ke Upanyas )

जैनेंद्र कुमार ( 2 जनवरी, 1905 – 24 दिसंबर, 1988 ) हिंदी के प्रसिद्ध उपन्यासकार हैं उन्होंने हिंदी उपन्यास को नई पहचान दिलाई उनके प्रमुख उपन्यास निम्नलिखित हैंं : – 🔹 परख ( 1929 ) – यह जैनेन्द्र कुमार द्वारा रचित प्रथम उपन्यास है | कट्टो, सत्यधन, बिहारी और गरिमा इस उपन्यास के प्रमुुुख पात्र … Read more

उपेंद्रनाथ अश्क के नाटक ( Upendranath Ashk Ke Natak )

उपेंद्रनाथ अश्क ( Upendranath Ashk ) छायावादोत्तर काल के प्रसिद्ध नाटककार हैं | इन्होंने हिंदी नाटक को नई पहचान दी | इन्होंने अपनी लेखनी से अनेक नाटकों की रचना की जो हिंदी नाट्य विधा को नए आयाम प्रदान करते हैं | अश्क़ जी के कुछ प्रसिद्ध नाटक निम्नलिखित हैं :- जय-पराजय ( 1937 ), वैश्या … Read more

भारतेंदु हरिश्चंद्र के नाटक ( Bhartendu Harishchandra Ke Natak )

भारतेंदु हरिश्चंद्र ( Bhartendu Harishchandra, 9 september, 1850-6January, 1885) हिंदी के आरंभिक नाटककार हैं | उन्होंने हिंदी नाटक को नई पहचान दी | उन्होंने अपनी लेखनी से अनेक उत्कृष्ट नाटकों की रचना की जिनमें से कुछ मौलिक नाटक है तो कुछ अनूदित | भारतेंदु हरिश्चंद्र द्वारा रचित नाटकों को दो भागों में बांटा जा सकता … Read more

पथ के साथी : गद्य शैली/ भाषा शैली ( Path Ke Sathi : Gadya Shaili / Bhasha Shaili )

पथ के साथी ( Path Ke Sathi ) महादेवी वर्मा ( Mahadevi Varma ) द्वारा रचित संस्मरणात्मक कृति है | इस रचना में उन्होंने अपने युग के सात महान साहित्यकारों से संबंधित संस्मरण प्रस्तुत किए हैं | इस रचना में महादेवी वर्मा की शैली भी निराली है और भाषा भी | जिस कृति की भाषा-शैली … Read more

पथ के साथी : साहित्य-रूप पर विचार ( Path Ke Sathi : Sahitya Roop Par Vichar )

हिंदी साहित्य में कुछ ऐसी विधाएँ भी हैं जो भिन्न होते हुए भी कुछ न कुछ समानताएं रखती हैं | हिंदी साहित्य में संस्मरण, रेखाचित्र व चरित्र-प्रधान कहानीयाँ ऐसी ही विधाएं हैं | प्रसिद्ध गद्य लेखिका व कवियत्री महादेवी वर्मा ( Mahadevi Verma ) ने ऐसी तीन रचनाएं लिखी हैं – स्मृति की रेखाएं, अतीत … Read more

मैला आँचल : नायकत्व पर विचार ( Maila Aanchal : Nayaktv Par Vichar )

मैला आंचल ( Maila Aanchal ) फणीश्वर नाथ रेणु ( Fanishwarnath Renu ) द्वारा रचित एक प्रसिद्ध आंचलिक उपन्यास है | अनेक विद्वान मैला आंचल उपन्यास को न केवल आंचलिक उपन्यास धारा का सर्वश्रेष्ठ उपन्यास मानते हैं बल्कि संपूर्ण हिंदी साहित्य में इसे एक विशिष्ट स्थान प्रदान करते हैं | यही कारण है कि यह … Read more

‘मैला आँचल’ उपन्यास में निरूपित लोक संस्कृति ( Maila Aanchal Upanyas Mein Nirupit Lok Sanskriti )

मैला आंचल( Maila Aanchal ) फणीश्वर नाथ रेणु ( Fanishwarnath Renu ) द्वारा रचित एक प्रसिद्ध आंचलिक उपन्यास है | इस उपन्यास का प्रकाशन 1954 ईस्वी में हुआ | इसे हिंदी साहित्य का सर्वश्रेष्ठ आंचलिक उपन्यास माना जाता है | आंचलिक उपन्यास के मुख्य रूप से दो प्रधान लक्षण माने जाते हैं – 1. किसी … Read more

मैला आंचल में आंचलिकता ( Maila Aanchal Me Aanchlikta )

मैला आँचल ( Maila Aanchal ) फणीश्वरनाथ रेणु ( Fanishwarnath Renu ) द्वारा रचित हिंदी के प्रसिद्ध उपन्यासों में से एक है | यह उपन्यास 1954 ईo. में प्रकाशित हुआ | आंचलिक उपन्यासधारा में मैला आँचल को सर्वश्रेष्ठ उपन्यास माना जाता है | मैला आंचल ( Maila Aanchal ) की आंचलिकता पर विचार करने से … Read more

गोदान में ग्रामीण व नागरिक कथाओं का पारस्परिक संबंध ( Godan : Gramin V Nagrik Kathaon Ka Parasparik Sambandh )

गोदान ( Godan ) मुंशी प्रेमचंद जी की एक प्रौढ़ रचना है | इसमें मुंशी प्रेमचंद ( Premchand ) जी ने अपने युग का यथार्थ वर्णन किया है | प्रेमचंद कलम के सिपाही माने जाते हैं | वे अपनी लेखनी के माध्यम से ग्रामीण समस्याओं को सुलझा कर नारकीय जीवन जीने वाले ग्रामीणों को दुखों … Read more

गोदान में आदर्शोन्मुख यथार्थवाद ( Godan Mein Aadarshonmukh Yatharthvad )

हिंदी साहित्य में प्रेमचंद ( Premchand ) को उपन्यास सम्राट के नाम से जाना जाता है | गोदान ( Godan ) उनकी प्रौढ़ रचना मानी जाती है | यह उपन्यास सन 1936 में प्रकाशित हुआ | उनका यह उपन्यास सबसे अधिक आलोचना का विषय रहा |उनके कुछ उपन्यास ठेठ यथार्थवाद लिए हुए हैं लेकिन गोदान … Read more

error: Content is proteced protected !!