भारत-भारती ( Bharat Bharati ) : मैथिलीशरण गुप्त

मानस-भवन में आर्यजन, जिसकी उतारें आरती – भगवान ! भारतवर्ष में गूंजे हमारी भारती | हो भद्रभावोदभाविनी वह भारती हे भगवते ! सीतापते ! सीतापते !! गीतामते ! गीतामते || (1) प्रसंग – प्रस्तुत काव्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘भारत भारती’ नामक कविता से अवतरित है | इस कविता के रचयिता राष्ट्रकवि श्री मैथिलीशरण … Read more

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