पहलवान की ढोलक : फणीश्वरनाथ रेणु

जाड़े का दिन | अमावस्या की रात – ठंडी और काली | मलेरिया और हैजे से पीड़ित गाँव भर्यात्त शिशु की तरह थर-थर काँप रहा था | पुरानी और उजड़ी बाँस-फूस की झोपड़ियों में अंधकार और सन्नाटे का सम्मिलित साम्राज्य | अंधेरा और निस्तब्धता | अँधेरी रात चुपचाप आँसू बहा रही थी | निस्तब्धता करुण … Read more

आओ मिलकर बचाएँ : निर्मला पुतुल ( Aao, Milkar Bachayen : Nirmala Putul )

( ‘आओ मिलकर बचाएँ’ NCERT की बारहवीं कक्षा की हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘आरोह भाग -2 में संकलित कविता है जो झारखण्ड की प्रसिद्ध कवयित्री निर्मला पुतुल द्वारा लिखित है | कविता झारखण्ड की आबो-हवा और संस्कृति को बचाने का आग्रह करती है | ) अपनी बस्तियों को नंगी होने से शहर की आबो-हवा से … Read more

सबसे खतरनाक : पाश ( Sabse Khatarnak : Pash )

मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती पुलिस की मार सबसे ख़तरनाक नहीं होती गद्दारी-लोभ की मुट्ठी सबसे ख़तरनाक नहीं होती बैठे-बिठाए पकड़े जाना – बुरा तो है सहमी-सी चुप में जकड़े जाना – बुरा तो है पर सबसे ख़तरनाक नहीं होता कपट के शोर में सही होते हुए भी दब जाना – बुरा तो … Read more

अक्क महादेवी ( Akka Mahadevi )

( यहाँ NCERT की हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘आरोह भाग 1’ में संकलित कन्नड़ कवयित्री अक्क महादेवी के पदों का हिंदी अनुवाद सम्पूर्ण व्याख्या दी गई है | ) पद 1 हे भूख! मत मचल प्यास, तड़प मत हे नींद! मत सता क्रोध, मचा मत उधल-पुथल हे मोह! पाश अपने ढील लोभ, मत ललचा हे … Read more

साये में धूप ( दुष्यंत कुमार )

( यहाँ NCERT की हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘आरोह भाग 1’ में संकलित गज़ल ‘साये में धूप’ की व्याख्या तथा प्रतिपाद्य दिया गया है | ) कहाँ तो तय था चिरागाँ हरेक घर के लिए, कहाँ चिराग मयस्सर नहीं शहर के लिए | 1️⃣ यहाँ दरख़्तों के साये में धूप लगती है, चलो यहाँ से … Read more

चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती : त्रिलोचन

चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती मैं जब पढ़ने लगता हूँ वह आ जाती है खड़ी खड़ी चुपचाप सुना करती है उसे बड़ा अचरज होता है ; इन काले चिन्हों से कैसे ये सब स्वर निकला करते हैं | 1️⃣ चंपा सुंदर की लड़की है सुंदर ग्वाला है : गायें-भैंसें रखता है चंपा चौपायों को … Read more

घर की याद : भवानी प्रसाद मिश्र ( Ghar Ki Yad : Bhawani Prasad Mishra )

( यहाँ NCERT की 11वीं कक्षा की हिंदी के पाठ्य पुस्तक ‘आरोह भाग 1’ में संकलित कविता ‘घर की याद’ की व्याख्या व प्रतिपाद्य दिया गया है | आज पानी गिर रहा है, बहुत पानी गिर रहा है, रात भर गिरता रहा है, प्राण मन घिरता रहा है, बहुत पानी गिर रहा है, घर नजर … Read more

कबीर ( Kabir )

( यहाँ ग्यारहवीं कक्षा की हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘आरोह भाग 1’ में संकलित ‘कबीर’ के पदों की सप्रसंग व्याख्या प्रस्तुत की गई है | ) पद 1 हम तौ एक एक करि जाना | दोइ कहैं तिनहीं कौँ दोजग जिन नाहिंन पहिचांनां || एकै पवन एक ही पानीं एकै जोति समांनां | एकै खाक … Read more

मीरा ( Mirabai )

( यहाँ NCERT की हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘आरोह भाग 1’ में संकलित मीरा ( Mirabai ) के पदों की व्याख्या तथा अभ्यास के प्रश्न दिए गए हैं |) पद 1 मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई जा के सिर मोर-मुकुट, मेरो पति सोई छांडि दयी कुल की कानि, कहा करिहै कोई? संतन ढिग … Read more

वे आँखें ( सुमित्रानंदन पंत )

( ‘वे आँखें’ सुमित्रानंदन पंत द्वारा रचित एक प्रगतिशील कविता है जिसमें एक किसान की दयनीय स्थिति का मार्मिक चित्रण है | ) अंधकार की गुहा सरीखी उन आँखों से डरता है मन, भरा दूर तक उनमें दारुण दैन्य दुख का नीरव रोदन! वह स्वाधीन किसान रहा, अभिमान भरा आँखों में इसका, छोड़ उसे मँझधार … Read more

पथिक ( रामनरेश त्रिपाठी )

( यहाँ NCERT की हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘आरोह भाग 1’ में संकलित कविता ‘पथिक’ ( रामनरेश त्रिपाठी ) की व्याख्या तथा प्रतिपाद्य दिया गया है ) प्रतिक्षण नूतन वेश बनाकर रंग-बिरंग निराला | रवि के सम्मुख थिरक रही है नभ में वारिद-माला | नीचे नील समुद्र मनोहर ऊपर नील गगन है | घन पर … Read more

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