औचित्य सिद्धांत : अवधारणा एवं स्थापनाएं

औचित्य सिद्धांत भारतीय काव्यशास्त्र सिद्धांतों में सबसे नवीन सिद्धांत है | भारतीय काव्यशास्त्र के अन्य सभी सिद्धांतों के अस्तित्व में आने के पश्चात इस सिद्धांत का आविर्भाव हुआ | दूसरे शब्दों में इसे संस्कृत काव्यशास्त्र का अंतिम सिद्धांत भी कह सकते हैं | आचार्य क्षेमेंद्र ने औचित्य सिद्धांत का प्रवर्तन किया | यह सिद्धांत आने … Read more

पारिस्थितिक तंत्र : अर्थ, विशेषताएं, संरचना तथा प्रकार

पारिस्थितिक तंत्र का अर्थ पारिस्थितिक तंत्र ( Ecosystem ) शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम ए जी टान्सले ने 1935 में किया | टॉन्सले के अनुसार पारिस्थितिक तंत्र भौतिक तंत्रों का एक विशेष प्रकार होता है जिसकी रचना जीवों तथा अजैविक संघटकों से होती है | यह अपेक्षाकृत स्थिर दशा में होता है | यह विवृत्त तंत्र … Read more

ध्वनि सिद्धांत ( Dhvani Siddhant )

भारतीय काव्यशास्त्र में ध्वनि-सिद्धांत का अभ्युदय 9वीं सदी में हुआ | इससे पूर्व रस सिद्धांत, अलंकार सिद्धांत तथा रीति सिद्धांत को पर्याप्त लोकप्रियता मिल चुकी थी | ध्वनि-सिद्धांत के संस्थापक आनंदवर्धन ने ध्वनि की मौलिक उदभावना करके काव्य के अंतर्तत्त्वों की विशद व्याख्या की | उन्होंने काव्यात्मा के संदर्भ में प्रचलित भ्रांतियों पर व्यापक प्रकाश … Read more

पवन की उत्पत्ति के कारण व प्रकार

एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर चलने वाली वायु ( Air ) को पवन ( Wind ) कहते हैं | पवन के प्रकारों को जानने से पहले पवन की उत्पत्ति के कारण जानना आवश्यक होगा | पवन की उत्पत्ति के कारण पवन धरातल पर वायुदाब में क्षैतिज विषमताओं के कारण चलती है | जिस … Read more

वायुमंडलीय दाब : अर्थ एवं प्रकार

वायुमंडलीय दाब पृथ्वी के वायुमंडल में किसी सतह की एक इकाई पर उससे ऊपर की हवा के वजन द्वारा लगाया गया बल है | अधिकांश परिस्थितियों में वायुमंडलीय दबाव का लगभग सही अनुपात मापन बिंदु पर उसके ऊपर वाली हवा के वजन द्वारा लगाए गए द्रव स्थैतिक दबाव द्वारा लगाया जाता है | वायु एक … Read more

आर्द्रता, बादल तथा वर्षण

आर्द्रता, बादल तथा वर्षण वायुमंडल तथा पृथ्वी पर जल उपलब्धता के विभिन्न माध्यम हैं | इनका विस्तृत वर्णन इस प्रकार है — आर्द्रता ( Humidity ) वायुमंडल में उपस्थित जलवाष्प को आर्द्रता कहते हैं | वायुमंडल में इसकी मात्रा शून्य से 4% तक पाई जाती है | यह वायुमंडल में तीन रूपों में मिलता है … Read more

वाताग्र की उत्पत्ति के कारण व प्रकार

स्पाइलर के अनुसार — “दो विपरीत वायुराशियों के मिलन-स्थल को वाताग्र कहते हैं |” साधारणत: वाताग्र न तो धरातलीय सतह के समानांतर होता है और न ही उस पर लंबवत होता है बल्कि कुछ कोण पर झुका हुआ होता है | पृथ्वी पर सभी स्थानों पर वाताग्र का ढाल एक समान नहीं होता | वास्तव … Read more

चक्रवात और प्रतिचक्रवात

पवनों का ऐसा चक्र जिसमें अंदर की ओर वायुदाब कम और बाहर की ओर अधिक होता है, चक्रवात ( Cyclone ) कहलाता है | यह वृत्ताकार या अंडाकार होता है | चक्रवात और प्रतिचक्रवात के निर्माण में वाताग्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है | चक्रवात में वायु चारों ओर उच्च वायु भार के क्षेत्र से … Read more

महासागरीय धाराएं : उत्पत्ति के कारक व प्रकार

महासागरीय धारा महासागरों के एक भाग से दूसरे भाग की ओर विशेष दिशा में जल के निरंतर प्रवाह को महासागरीय धारा कहते हैं | धारा के दोनों किनारों पर तथा उसके नीचे जल स्थित रहता है | दूसरे शब्दों में महासागरीय धाराएं स्थल पर बहने वाली नदियों के समान हैं परंतु महासागरीय धाराएं स्थलीय नदियों … Read more

समुद्री संसाधन और प्रवाल भित्तियां

समुद्री-संसाधन महासागर से अनेक प्रकार के समुद्री संसाधन प्राप्त होते हैं जिन्हें हम मुख्य रूप से तीन वर्गों में बांट सकते हैं — (1 ) जीवीय संसाधन, (2 ) खनिज संसाधन एवं (3 ) ऊर्जा संसाधन | (1 ) जीवीय संसाधन समुद्री जल में लाखों किस्म के जीव रहते हैं जिनका प्रयोग मनुष्य अपने लाभ … Read more

रसखान का साहित्यिक परिचय

जीवन-परिचय रसखान भक्तिकालीन कृष्ण काव्यधारा के प्रमुख कवि थे | उनका जन्म सन 1533 ईस्वी में एक पठान परिवार में उत्तर प्रदेश के हरदोई जिला में पिहानी नामक स्थान पर हुआ | इनका मूल नाम सैयद इब्राहिम था लेकिन इनके काव्य में अत्यधिक रसिकता होने के कारण लोग इन्हें रसखान कहने लगे | वल्लभाचार्य के … Read more

पर्यावरण संरक्षण के अंतरराष्ट्रीय / वैश्विक प्रयास

पर्यावरण असंतुलन बढ़ने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के प्रयास अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए जा रहे हैं जिनमें से कुछ का वर्णन इस प्रकार है — (1) स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन ( 1972 ईस्वी ) इस शिखर सम्मेलन में सभी देशों को विशिष्ट जीव-जंतुओं और पौधों से संबंधित संरक्षण कार्यक्रम प्रारंभ करने और इसके लिए पर्यावरण … Read more

विश्व की प्रमुख जनजातियाँ

बोरों जनजाति, पापुआन जनजाति, सेमोयाड्स जनजाति, युकागीर जनजाति, पुनन जनजाति, कज्जाक, माया, बोअर, जुलु, अफरीदी, हाजदा, कुंग, अपाचे, एस्किमों, बुशमैन आदि विश्व की प्रमुख जनजातियाँ हैं जिनका संक्षिप्त परिचय निम्नलिखित है — बोरों जनजाति बोरो जनजाति पश्चिम अमेजन बेसिन, ब्राजील, पेरू और कोलंबिया के सीमांत क्षेत्रों में मिलती है | यह जनजाति आदिम कृषक के … Read more

मानव प्रजातियों का वर्गीकरण

प्रजाति का तात्पर्य है वर्तमान मानव की जीव वैज्ञानिक विशेषताओं के आधार पर उसके उस वर्गीकरण से है जिसका प्रत्येक वर्ग वंशानुक्रम के द्वारा शारीरिक लक्षणों में पर्याप्त समानता रखता है | किसी प्रजातीय वर्ग के सभी लोगों के बीच नस्ल या जन्मजात संबंध पाए जाते हैं और उनके द्वारा पीढ़ी दर पीढ़ी उनका वहन … Read more

घनानंद का साहित्यिक परिचय ( Ghananand Ka Sahityik Parichay )

जीवन परिचय घनानंद रीतिकाल की रीतिमुक्त काव्यधारा के प्रसिद्ध कवि हैं | इनका जन्म 1683 ईस्वी में माना जाता है | इनके जन्म स्थान के विषय में विद्वानों में मतभेद है | अधिकांश विद्वानों के अनुसार घनानंद का जन्म उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में हुआ था | वे मुगल बादशाह मुहम्मदशाह रंगीला के दरबार … Read more