लोंजाइनस का उदात्त सिद्धांत

पाश्चात्य काव्यशास्त्र में प्लेटो तथा अरस्तू के पश्चात लोंजाइनस एक महत्वपूर्ण काव्यशास्त्री हुए हैं | लोंजाइनस ने अपनी काव्य संबंधी अवधारणा अपनी पुस्तक पेरिइप्सुस में प्रस्तुत की है | बहुत लंबे समय तक यह पुस्तक अंधकार के गर्त में रही | आरंभ में इसके केवल कुछ अंश प्राप्त हुए ; 1554 ईस्वी में इस ग्रंथ … Read more

भारत की मिट्टियां : विभिन्न प्रकार, विशेषताएँ व वितरण

‘भारत की मिट्टियां’ विषय का विस्तृत विवेचन करने से पूर्व मृदा शब्द के अर्थ को जानना अति आवश्यक होगा | मृदा ( Soil ) पृथ्वी की ऊपरी सतह पर मोटे, मध्यम और बारीक कार्बनिक तथा अकार्बनिक कणों को मृदा कहते हैं | ऊपरी सतह पर से मिट्टी हटाने पर प्रायः चट्टान पाई जाती है कभी-कभी … Read more

भारत में बाढ़ और अनावृष्टि के प्रमुख कारण

भारत क्षेत्रफल की दृष्टि से एक विशाल देश है | भौगोलिक दृष्टि से इसमें अनेक विभिन्नतायें पाई जाती हैं | यही कारण है भारत में वर्षा की मात्रा भी एक समान नहीं है | इसके विभिन्न भागों में बाढ़ के साथ-साथ अनावृष्टि भी देखी जा सकती है | भारत में बाढ़ तथा अनावृष्टि के अनेक … Read more

भारत की जलवायु : प्रभावित करने वाले कारक व प्रमुख विशेषताएं

किसी भी स्थान की जलवायु का अध्ययन करने के लिए वहाँ के तापमान, वर्षा, वायुदाब, पवनों की गति एवं दिशा का ज्ञान होना अनिवार्य है | जलवायु के इन तत्त्वों पर देश के अक्षांशीय विस्तार, उच्चावच तथा जल व स्थल के वितरण का भी गहरा प्रभाव पड़ता है | कर्क रेखा भारत के लगभग बीच … Read more

भारत की प्रमुख झीलें व प्रपात

भारत की झीलें देश की अधिकांश झीलों की स्थिति उत्तर के पर्वतीय प्रदेश में ही सीमित है। समुद्र तटीय क्षेत्रों में भी कुछ महत्वपूर्ण झीलें स्थित हैं। मैदानी भाग में इनकी कमी है। देश में मिलने वाली विभिन्न प्रकार की झीलें निम्नलिखित हैं — (1) विवर्तनिक झीलें कश्मीर की वूलर झील झेलम नदी पर बना … Read more

अरस्तू का विरेचन सिद्धांत

अरस्तू यूनान के प्रसिद्ध दार्शनिक प्लेटो का शिष्य था | अरस्तू का विरेचन सिद्धांत अपने गुरु प्लेटो के काव्य संबंधी सिद्धांत का प्रतिवाद कहा जा सकता है | प्लेटो की यह धारणा थी कि काव्य हमारी क्षुद्र वासनाओं को उभरता है और आदर्श नागरिकता के मार्ग में बाधा बनता है | उनका मानना था कि … Read more

भारत की नदियों का अपवहन तंत्र

भारतीय नदियों का वर्तमान स्वरूप जानने से पहले उनका विकास जानना आवश्यक है। भारत की नदियों का अपवहन तंत्र व उसका वर्तमान स्वरूप नदी विकास की एक लम्बी प्रक्रिया का परिणाम है। नदी तंत्र के विकास के आधार पर भारतीय नदियों को मुख्य रूप से दो भागों में बाँटा जाता है — (1) हिमालय की … Read more

भारत के प्राकृतिक प्रदेश : तटीय मैदान तथा द्वीप समूह

भारत के तटीय मैदान भारत की तटरेखा लगभग 6,000 किमी. लम्बी है, जो पश्चिम में कच्छ के रन (Rann of Kutch) से पूर्व में गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा तक विस्तृत है। प्रायद्वीपीय पठार की पश्चिमी एवं पूर्वी सीमा तथा भारतीय तटरेखा के बीच स्थित सँकरे मैदान को तटीय मैदान कहते हैं | पश्चिमी तटरेखा एवं पश्चिमी घाट … Read more

भारत के प्राकृतिक प्रदेश : प्रायद्वीपीय पठार

भारत का प्रायद्वीपीय पठार एक अनियमित त्रिभुजाकार आकृति का है, जिसका आधार उत्तर की ओर है और शीर्ष दक्षिण में कन्याकुमारी द्वारा बनाया जाता है। इसकी उत्तरी सीमा एक अनियमित रेखा है, जो कच्छ से अरावली पर्वत के पश्चिम छोर को छूती हुई दिल्ली के निकट पहुँचती है। इसके बाद यह यमुना तथा गंगा के … Read more

भारत के प्राकृतिक प्रदेश : विशाल उत्तरी मैदान

हिमालय पर्वत के दक्षिण में सिंधु, गंगा तथा ब्रह्मपुत्र जैसी नदियों की निक्षेप क्रिया द्वारा निर्मित एक विशाल मैदान स्थित है, जिसे भारत का विशाल उत्तरी मैदान कहते हैं। सिंधु, गंगा तथा ब्रह्मपुत्र नदियों द्वारा निर्मित होने के कारण इसे सिंधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान भी कहते हैं। गंगा और सिंधु नदियों के मुहाने के बीच पूर्व … Read more

अरस्तू का अनुकरण सिद्धांत

अरस्तू प्लेटो के प्रतिभाशाली शिष्य होने के साथ-साथ एक महान् चिन्तक भी थे | यही कारण है कि उन्होंने जिन सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया, उन्हें सभी परवर्ती पाश्चात्य विद्वानों ने स्वीकार किया। प्लेटो का शिष्य होते हुए भी अरस्तू ने प्लेटो के विचारों का खंडन करके अपना भौलिक चिंतन प्रस्तुत किया। अरस्तू के पिता राजवैद्य … Read more

यू जी सी नेट – हिंदी ( जून – 2006)

( यहाँ यू जी सी नेट – हिंदी ( जून – 2006) के प्रश्न-पत्र को व्याख्या सहित हल किया गया है ताकि विद्यार्थियों को सम्पूर्ण जानकारी मिल सके | ) प्रश्न – 1. खड़ी बोली का प्रयोग सबसे पहले किस पुस्तक में हुआ? (A) सुखसागर(B) भक्ति सागर(C) काव्य सागर(D) प्रेमसागर उत्तर — खड़ी बोली का … Read more

प्लेटो की काव्य संबंधी अवधारणा

प्लेटो एक महान पाश्चात्य विचारक थे | एक महान दार्शनिक होने के साथ-साथ साहित्य जगत में एक आलोचक के रूप में भी विशेष रूप से प्रसिद्ध रहे | प्लेटो से पूर्व, होमर, हैसीयाड, अरिस्टोफेनिस आदि विद्वानों के मत मिलते हैं। ये विद्वान् काव्य का लक्ष्य शिक्षा देना और आनन्द प्रदान करना मानते थे। प्लेटो कवि … Read more

भारत के प्राकृतिक प्रदेश : हिमालय पर्वत

भारत के उच्चावच अथवा धरातल या भू-आकृतिक लक्षणों में अत्यधिक विविधता पाई जाती है। यहाँ पर कहीं तो ऊँचे गगनचुम्बी पर्वत हैं, तो कहीं पर सपाट मैदान और प्राचीन चट्टानों वाले पठार विद्यमान है। भारत में सम्पूर्ण क्षेत्रफल का 10.7% पर्वतीय भाग (2135 मीटर ऊँचे), 18.6% पहाड़ियां (305 से 2.135 मीटर ऊँचे), 27.7% पठारी क्षेत्र … Read more

भारत की भूगार्भिक संरचना

भूगर्भिक संरचना पर किसी प्रदेश का उच्चावच अथवा धरातल तथा वहां की मृदा की बनावट निर्भर करती है | भूगार्भिक संरचना के अध्ययन से ही हमें भूगर्भ में छिपे हुए बहुमूल्य खनिजों की जानकारी मिलती है | अतः किसी भी देश का भौगोलिक अध्ययन करने से पूर्व वहां की भौगोलिक संरचना का ज्ञान होना अनिवार्य … Read more

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