मैक्स वेबर का नौकरशाही सिद्धांत ( Max Weber’s Theory of Bureaucracy )

मैक्स वेबर जर्मनी का एक समाजशास्त्री था | उसने नौकरशाही का व्यवस्थित अध्ययन किया | उसने नौकरशाही का इतना तर्कपूर्ण विवेचन किया कि नौकरशाही और मैक्स वेबर एक दूसरे के पर्याय बन गए | उसने अपनी पुस्तक ‘सामाजिक और आर्थिक संगठन के सिद्धांत’ में नौकरशाही के आदर्श रूप का वर्णन किया है | मैक्स वेबर … Read more

नौकरशाही का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, कार्य एवं महत्व

नौकरशाही को अंग्रेजी भाषा में ब्यूरोक्रेसी ( Bureaucracy ) कहते हैं जो फ्रांसीसी भाषा के दो शब्दों ‘ब्यूरो’ और ‘क्रेसी’ से निकला है | ‘ब्यूरो’ का अर्थ है – डेस्क अर्थात लिखने की मेज तथा ‘क्रेसी’ का अर्थ शासन होता है | इसलिए नौकरशाही को ‘डेस्क सरकार’ भी कहते हैं | वास्तव में नौकरशाही सेवकों … Read more

नेतृत्व का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं व कार्य

नेतृत्व एक ऐसा गुण है जो व्यक्तियों को किसी संगठन के प्रति निष्ठावान बनाए रखता है | यह व्यक्तित्व का जादू तथा प्रभावित करने की कला है जिसके द्वारा वह एक संगठन की समस्त शक्तियों को उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए प्रयास करने की प्रेरणा देता है | नेतृत्व की परिभाषा ( Netritva Ki Paribhasha … Read more

केंद्रीयकरण एवं विकेंद्रीकरण : अर्थ, परिभाषा, स्वरूप व गुण-दोष )

संगठन के संबंध में कई समस्याएं हैं जिनमें सबसे महत्वपूर्ण समस्या यह है कि प्रशासकीय संगठन को केंद्रीयकृत रखा जाए या विकेंद्रीकृत | किसी संगठन के प्रशासन में शक्तियों का केंद्रीयकरण एवं विकेंद्रीकरण उस संगठन के स्वरूप को निर्धारित करता है | प्रशासन की समस्त शक्तियां पद सोपान की विभिन्न श्रेणियों से होती हुई अगर … Read more

पद सोपान की अवधारणा : अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं व गुण-दोष

पद सोपान की अवधारणा को जानने के लिए इसके अर्थ तथा परिभाषा को जानना आवश्यक होगा | पद सोपान का अर्थ ( Pad Sopan Ka Arth ) ‘पद सोपान’ का शाब्दिक अर्थ है – श्रेणीबद्ध प्रशासन | अंग्रेजी में इसे ‘Hierarchy’ कहते हैं जिसका अर्थ होता है – निम्नतर पर उच्चतर का शासन | इस … Read more

नवीन लोक प्रशासन की अवधारणा : अर्थ, उद्देश्य एवं विशेषताएँ

1968 ईस्वी के पश्चात लोक प्रशासन के क्षेत्र में नवीन विचारों का सूत्रपात हुआ और इन्हीं विचारों को नवीन लोक प्रशासन की संज्ञा दी गई | 1971 ईस्वी में फ्रैंक मैरिनी द्वारा संपादित पुस्तक ‘नवीन लोक प्रशासन की दिशाएं – मिन्नोब्रुक परिप्रेक्ष्य’ के प्रकाशन के साथ ही नवीन लोक प्रशासन की अवधारणा को मान्यता प्राप्त … Read more

लोक प्रशासन का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, स्वरूप एवं क्षेत्र

लोक प्रशासन एक विशिष्ट शैक्षिक क्षेत्र है | कोई भी योजना तब तक सफल नहीं हो सकती जब तक कि उसके प्रशासकीय पहलुओं को पूरी तरह समझ न दिया जाए | अतः किसी देश का विकास उसके लोक प्रशासन पर निर्भर करता है | यदि लोक प्रशासन की व्यवस्था भंग हो जाए तो समाज का … Read more

द्वितीय विश्व युद्ध के कारण व प्रभाव

द्वितीय विश्व युद्ध 1939 से 1945 ईस्वी तक लड़ा गया | युद्ध का तत्कालीन कारण जर्मनी का पोलैंड पर आक्रमण था परंतु वास्तव में इस महायुद्ध के अनेक कारण थे | दोषपूर्ण वर्साय की सन्धि, साम्राज्यवाद, उग्र राष्ट्रवाद, तुष्टिकरण की नीति आदि द्वितीय विश्व युद्ध के कारण थे जिनमें से कुछ प्रमुख कारणों का विवेचन … Read more

प्रथम विश्व युद्ध के कारण ( Pratham Vishwa Yudh Ke Karan )

प्रथम विश्व युद्ध 1914 ईस्वी से 1918 ईस्वी तक लड़ा गया | इस युद्ध के अनेक कारण थे जिनमें से कुछ कारणों का वर्णन निम्नलिखित है : — (1) उग्र राष्ट्रीयता उग्र राष्ट्रीयता से अभिप्राय एक ऐसी भावना से है जिसके अनुसार मनुष्य अपने राष्ट्र व जाति को सर्वश्रेष्ठ मानने लगता है | 19वीं सदी … Read more

इटली का एकीकरण ( Unification Of Italy )

इटली एक प्राचीन देश है | यह हमेशा विदेशी आक्रमणकारियों का शिकार रहा | इसका उत्तरी भाग ऑस्ट्रिया के अधीन था | दक्षिण भाग पर बूर्वो वंश के शासकों का अधिकार था | इस प्रकार इटली अनेक छोटे-छोटे भागों में बटा हुआ था | इटली का एकीकरण एक लंबे संघर्ष के बाद सम्भव हुआ जिसने … Read more

जर्मनी का एकीकरण ( Unification of Germany )

जर्मनी के एकीकरण में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका बिस्मार्क की थी | प्रशा के शासक फ्रेडरिक विलियम चतुर्थ की मृत्यु के पश्चात विलियम प्रथम शासक बना उसने | उसने 1862 ईस्वी में बिस्मार्क को प्रशा का चांसलर ( प्रधानमंत्री ) नियुक्त किया | प्रधानमंत्री का पद संभालते ही बिस्मार्क ने कहा – “मेरी सबसे बड़ी इच्छा … Read more

वक्रोक्ति सिद्धांत : स्वरूप व अवधारणा ( Vakrokti Siddhant : Swaroop V Avdharna )

वक्रोक्ति सिद्धांत ( Vakrokti Siddhant ) भारतीय काव्यशास्त्र का एक महत्त्वपूर्ण सिद्धाँत है | वक्रोक्ति सिद्धांत के प्रवर्त्तक आचार्य कुंतक थे | आचार्य कुंतक से पहले के आचार्य वक्रोक्ति को अलंकार मात्र मानते थे परन्तु आचार्य कुंतक ने वक्रोक्ति को विशेष महत्त्व प्रदान किया | कुंतक ने वक्रोक्ति को काव्य के सौंदर्य का आधार मानते … Read more

फ्रांस की क्रांति के कारण व प्रभाव / परिणाम

फ्रांस की 1789 ईस्वी की क्रांति केवल फ्रांस की आंतरिक घटना नहीं बल्कि एक विश्व घटना थी | इस क्रांति ने विश्व इतिहास की दिशा बदल दी | फ्रांस की क्रांति के कारण फ्रांस की क्रांति ( French Revolution ) कोई आकस्मिक घटना नहीं थी | इस क्रांति के लिए अनेक सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक … Read more

औद्योगिक क्रांति का अर्थ, कारण, विकास व प्रभाव

18वीं सदी के आरंभ में यूरोप में औद्योगिक क्रांति का प्रादुर्भाव हुआ | सर्वप्रथम यह क्रांति इंग्लैंड में हुई | तत्पश्चात धीरे-धीरे यूरोप के अन्य देशों में औद्योगिक क्रांति हुई | औद्योगिक क्रांति के कारणों व प्रभावों का विस्तृत वर्णन करने से पूर्व औद्योगिक क्रांति के अर्थ को जानना नितांत प्रासंगिक होगा | औद्योगिक क्रांति … Read more

कृषि क्रांति : अर्थ, परिभाषा, काल, कारण व प्रभाव ( Krishi Kranti : Arth, Paribhasha, Kaal, Karan V Prabhav )

कृषि क्रांति से अभिप्राय है – कृषि उत्पादन में आश्चर्यजनक वृद्धि | 16वीं सदी से 18वीं सदी के बीच यूरोप में कृषि के क्षेत्र में अनेक परिवर्तन हुए | खेतों की चकबंदी और बाड़बंदी की गई | कृषि के नए औजारों व नए तरीकों का आविष्कार हुआ | उत्पादन एवं मुनाफा बढ़ने लगा | परिणामस्वरूप … Read more