‘यशोधरा’ का कथासार

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित ‘यशोधरा’ की रचना सन 1933 में हुई | ‘यशोधरा’ का उद्देश्य गौतम बुद्ध की पत्नी यशोधरा के हार्दिक दुख की मार्मिक अभिव्यक्ति है | यशोधरा की हृदयगत दु:खद भावनाओं की अभिव्यक्ति के निमित्त गुप्त जी ने प्रस्तुत काव्य-ग्रंथ के कथानक में अपनी कल्पना से अनेक नवीन एवं मौलिक परिवर्तन किए … Read more

मैथिलीशरण गुप्त के काव्य में नारी-चित्रण

मैथिलीशरण गुप्त यद्यपि राष्ट्रीय चेतना के लिए जाने जाते हैं लेकिन फिर भी उनके साहित्य में अन्य काव्यगत प्रवृतियां व विषय-वस्तु का वर्णन भी प्रभावी व व्यापक रूप में हुआ है | उन्होंने इतिहास की उन नारी पात्रों को उच्च शिखर पर बिठाया जिनके लिए हमारा इतिहास प्रायः मौन रहा है | उर्मिला, यशोधरा और … Read more

मैथिलीशरण गुप्त की राष्ट्रीय चेतना ( Maithilisharan Gupt Ki Rashtriya Chetna )

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त द्विवेदी युग के सर्वाधिक लोकप्रिय कवि हैं | उनके काव्य में द्विवेदी युगीन समाज सुधार की भावना, राष्ट्रीय भावना, जन-जागरण की प्रवृत्ति एवं युगबोध विद्यमान है | मैथिलीशरण गुप्त की राष्ट्रीय चेतना न केवल द्विवेदी युग बल्कि सम्पूर्ण हिंदी साहित्य में महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है | संभवतः इसी कारण उन्हें राष्ट्रकवि की … Read more

‘पच्चीस चौका डेढ़ सौ’ कहानी का मूल भाव

साहित्य की विभिन्न विधाओं में सामाजिक असमानता के विरुद्ध आवाज उठाई गई है परंतु यह तत्काल संभव नहीं हुआ | प्रारंभ में केवल उच्च घरानों से संबंधित विषय-वस्तु को ही साहित्य में स्थान दिया गया | तत्पश्चात निम्न वर्गीय कुछ पात्रों का समावेश हुआ परंतु वे पात्र कभी प्रमुख पात्र नहीं बन पाए | महाभारत … Read more

संत काव्य-परंपरा एवं प्रवृत्तियां /विशेषताएं

हिंदी साहित्य का इतिहास मुख्य तौर पर तीन भागों में बांटा जा सकता है : आदिकाल, मध्यकाल और आधुनिक काल | संत काव्य-परंपरा हिंदी साहित्य के भक्तिकाल की निर्गुण काव्यधारा से सम्बद्ध है | हिंदी साहित्येतिहास के काल विभाजन और नामकरण को निम्नलिखित आरेख के माध्यम से समझा जा सकता है : – निर्गुण काव्य धारा … Read more

ईदगाह : मुंशी प्रेमचंद ( Idgah : Munshi Premchand )

रमजान के पूरे तीस रोजों के बाद आज ईद आई है | कितना मनोहर, कितना सुहावना प्रभात है | वृक्षों पर कुछ अजीब हरियाली है, खेतों में कुछ अजीब रौनक है, आसमान पर कुछ अजीब लालिमा है |आज का सूर्य देखो, कितना प्यारा, कितना शीतल है, मानो संसार को ईद की बधाई दे रहा है … Read more

विजयनगर साम्राज्य ( Vijayanagar Empire )

विजयनगर साम्राज्य ( Vijayanagar Empire ) की स्थापना 1336 ई० में हरिहर एवं बुक्का नामक दो भाइयों ने की । विजयनगर साम्राज्य तुंगभद्रा नदी ( कर्नाटक ) के दक्षिण में स्थित था । ◾विजयनगर की स्थापना की प्रेरणा हरिहर एवं बुक्का ने अपने गुरु ‘विद्यारण्य‘ तथा वेदों के भाष्यकार ‘सायण‘ से प्राप्त की । ◾हरिहर … Read more

गुप्त वंश ( Gupta Dynasty )

▪️कुषाण साम्राज्य ( Kushan Vansh ) के ध्वंस अवशेषों पर गुप्त साम्राज्य ( Gupta Empire ) का उदय हुआ। संभवत: ये लोग कुषाणों के सामंत थे जिन्होंने कुषाणों के बाद उनका स्थान ले लिया । लगभग 230 ई० में कुषाण सत्ता समाप्त होने लगी थी । तब मध्य भारत में एक बड़ा भाग शकों के … Read more

‘पच्चीस चौका डेढ़ सौ’ कहानी की तात्विक समीक्षा ( Pachchis Chauka Dedh Sau Kahani Ki Tatvik Samiksha )

‘पच्चीस चौका डेढ़ सौ’ कहानी ओमप्रकाश वाल्मीकि द्वारा रचित एक अति चर्चित कहानी है | प्रस्तुत कहानी में लेखक ने जाति-पाति और शोषण को मुख्य रूप से आधार बनाकर निर्धन लोगों के जीवन की त्रासदी को व्यक्त किया है | प्रस्तुत कहानी में दिखाया गया है कि किस प्रकार से सूदखोर पूंजीपति असहाय और अशिक्षित … Read more

वस्तुनिष्ठ प्रश्न ( हिंदी ), बी ए – छठा सेमेस्टर ( Vastunishth Prashn, Hindi, BA – 6th Semester )

◼️ ‘आशा का अंत’ निबंध के लेखक का नाम बताइए | उत्तर – बालमुकुंद गुप्त | 🔹 बालमुकुंद गुप्त का जन्म कब और कहां हुआ? उत्तर – बालमुकुंद गुप्त का जन्म 14 नवंबर, 1865 को हरियाणा के झज्जर जिले के गुड़ियानी गांव में हुआ | 🔹 बालमुकुंद गुप्त की मृत्यु कब हुई? उत्तर – सन … Read more

महात्मा बुद्ध एवं बौद्ध धर्म ( Mahatma Buddha Evam Bauddh Dharma )

महात्मा बुद्ध ( Mahatma Budh ) का वास्तविक नाम -सिद्धार्थ अन्य नाम -गौतम बुद्ध , शाक्यमुनि ,तथागत बुद्ध का जन्म -563 ई० पू० ( वैशाख मास की पूर्णिमा को ) बुद्ध का जन्म-स्थल -कपिलवस्तु के निकट लुम्बिनी वाटिका में महात्मा बुद्ध ( Mahatma Budh ) की मृत्यु – 483 ई० पू० बुद्ध का मृत्यु-स्थल – … Read more

हरियाणवी कविता : परिचय एवं प्रवृतियां

हरियाणवी कविता की परंपरा ( Haryanvi Kavita Ki Parampara ) अत्यंत प्राचीन है | कुछ विद्वान हरियाणवी कविता का इतिहास भी हिंदी कविता के समानांतर मानते हैं | श्री राजाराम शास्त्री ने हरियाणवी कविता का आरंभ सातवीं-आठवीं सदी से माना है | अनेक आलोचक उनके मत को अस्वीकार करते हैं और इसे अतिशयोक्तिपूर्ण मानते हैं … Read more

वैदिक काल ( Vaidik Period )

सिंधु घाटी की सभ्यता के बाद जो सभ्यता प्रकाश में आई उसे  वैदिक सभ्यता ( Vaidik Sabhyata ) के नाम से जाना जाता है । यह पूर्णत: एक ग्रामीण सभ्यता थी । इसके मूल निवासियों को ‘आर्य’ कहा जाता है । अतः इसे आर्य सभ्यता ( Arya Sabhyata ) भी कहा जाता है । वैदिक … Read more

सिंधु घाटी की सभ्यता ( Indus Valley Civilization )

सिंधु घाटी की सभ्यता ( Indus Valley Civilization )  विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है । यह सभ्यता मेसोपोटामिया की सभ्यता व सुमेरियन  सभ्यता ( Sumerian Civilization ) के समकालीन मानी जाती है । हड़प्पा सभ्यता की खोज  इस सभ्यता की पहली झलक 1921 ई० में मिली जब दयाराम साहनी के नेतृत्व में … Read more

सिकंदर महान ( Alexander The Great – 326 BC – 323 BC )

सिकंदर इतिहास में एक महान योद्धा के रूप में जाना जाता है । यातायात के सीमित साधनों के बावजूद जिस तरह उसने अलंघ्य भौगोलिक सीमाओं को पार कर विश्व के बहुत बड़े भू-भाग को अपने नियंत्रण में लिया वह कल्पनातीत लगता है। उसके अतुल्य युद्धकौशल और पराक्रम के कारण उसे “सिकंदर महान” के नाम से … Read more