सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ का साहित्यिक परिचय

जीवन-परिचय – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ( Suryakant Tripathi Nirala ) जी छायावाद के चार प्रमुख कवियों में से एक प्रमुख कवि थे | केवल छायावाद ही नहीं बल्कि संपूर्ण हिंदी साहित्य में उनका एक विशेष स्थान है | उन्होंने हिंदी कविता को एक नया रूप प्रदान किया | उनका जन्म 1896 ईo में बंगाल के … Read more

मैथिलीशरण गुप्त का साहित्यिक परिचय ( Mathilisharan Gupt Ka Sahityik Parichay )

जीवन परिचय – श्री मैथिलीशरण गुप्त द्विवेदी युग के सर्वाधिक लोकप्रिय कवि थे | उनका जन्म 3 अगस्त, 1886 को उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के चिरगांव नामक स्थान पर हुआ | उनके पिता का नाम सेठ रामचरण गुप्त तथा माता का नाम काशी बाई था | वे बचपन से ही साहित्य में रुचि रखते … Read more

तुलसीदास का साहित्यिक परिचय ( Tulsidas Ka Sahityik Parichay )

जीवन परिचय – तुलसीदास जी भक्तिकालीन सगुण काव्यधारा की रामकाव्य धारा के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं | तुलसीदास जी की जन्म-तिथि व जन्म-स्थान के विषय में विद्वानों में मतभेद है | परंतु फिर भी अधिकांश विद्वान मानते हैं कि इनका जन्म 1532 ईस्वी में उत्तरप्रदेश के बांदा जिले के राजापुर गांव में हुआ | इनके पिता … Read more

व्यंजना शब्द-शक्ति की परिभाषा एवं भेद ( Vyanjana Shabd Shakti : Arth, Paribhasha Evam Bhed )

जहां शब्द का अर्थ अभिधा तथा लक्षणा शब्द-शक्तियों के द्वारा नहीं निकलता वहाँ शब्द की गहराई में छिपे हुए अर्थ को प्रकट करने वाली शक्ति व्यंजना शब्द-शक्ति कहलाती है | इससे जो अर्थ प्रकट होता है, उसे व्यंग्यार्थ कहते हैं | ‘व्यंजना’ शब्द ‘वि+अंजना’ से बना है जिसका अर्थ है – विशेष दृष्टि | इसका … Read more

लक्षणा शब्द-शक्ति का अर्थ व प्रकार ( Lakshna Shabd Shakti Ka Arth V Prakar )

मुख्यार्थ के बाधित होने पर जब किसी अन्य अर्थ का बोध होता है तो उस अर्थ को लक्ष्यार्थ कहते हैं तथा वह शब्द-शक्ति जो यह अर्थ प्रकट करवाती है उसे लक्षणा शब्द-शक्ति कहते हैं | उदाहरण – सुरेश तो निरा बंदर है | इस वाक्य में सुरेश को बंदर बताया गया है जबकि वास्तव में … Read more

अभिधा शब्द-शक्ति : अर्थ व प्रकार ( Abhidha Shabd Shakti Ka Arth V Prakar )

अभिधा शब्द-शक्ति उस शब्द-शक्ति को कहते हैं जो किसी शब्द के कोशगत अथवा उसके प्रसिद्ध सांकेतिक अर्थ को प्रकट करती है | आचार्यों ने इसे ‘प्रथमा’ या ‘अग्रिम’ नाम भी दिया है | उदाहरण – वाटिका में सुंदर फूल खिले हैं | इस वाक्य में ‘फूल’ शब्द का कोशगत अर्थ प्रकट होता है | अत: … Read more

शब्द-शक्ति : अर्थ व प्रमुख भेद ( Shabd Shakti : Arth V Pramukh Bhed )

शब्द और अर्थ का आपस में अभिन्न संबंध होता है | जो बोला या लिखा जाता है वह शब्द होता है तथा उस बोले अथवा लिखे हुए से सुनने वाले की समझ में जो आता है वह अर्थ होता है | उदाहरण के लिए अगर किसी ने बोला ‘गाय’ | इस शब्द को सुनकर सुनने … Read more

प्रेत का बयान ( Pret Ka Bayan ) : नागार्जुन

“ओ रे प्रेत” – कड़क कर बोले नरक के मालिक यमराज “सच-सच बतला ! कैसे मरा तू? भूख से, अकाल से? बुखार, कालाजार से? पेचिश, बदहजमी, प्लेग, महामारी से? कैसे मरा तू, सच-सच बतला?” खड़ खड़ खड़ खड़ हड़ हड़ हड़ हड़ काँपा कुछ हाड़ों का मानवीय ढांचा नचा कर लंबी चमचों-सा पंचगुरा हाथ रूखी … Read more

अकाल और उसके बाद ( Akaal Aur Uske Baad ) : नागार्जुन

कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास, कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त, कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त | दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद, धुआँ उठा आँगन से ऊपर कई दिनों के बाद, चमक उठी … Read more

बादल को घिरते देखा है ( Badal Ko Ghirte Dekha Hai ) : नागार्जुन

अमल धवल गिरि के शिखरों पर, बादल को घिरते देखा है | छोटे-छोटे मोती जैसे उसके शीतल तुहिन कणों को, मानसरोवर के उन स्वर्णिम, कमलों पर गिरते देखा है, बादल को घिरते देखा है | 1️⃣ तुंग हिमालय के कंधों पर छोटी-बड़ी कई झीलें हैं, उनके श्यामल नील सलिल में समतल देशों से आ-आकर पावस … Read more

सूरदास का साहित्यिक परिचय ( Surdas Ka Sahityik Parichay )

जीवन परिचय – सूरदास जी भक्तिकालीन सगुण काव्यधारा की कृष्ण काव्य धारा के सर्वाधिक प्रमुख कवि हैं | उन्हें अष्टछाप का जहाज कहा जाता है | उनकी जन्म-तिथि तथा जन्म-स्थान को लेकर विद्वानों में मतभेद है फिर भी अधिकांश विद्वान मानते हैं कि सूरदास का जन्म सन 1478 ईस्वी ( सम्वत 1535 ) में हुआ … Read more

सिंदूर तिलकित भाल ( Sindur Tilkit Bhal ) : नागार्जुन

घोर निर्जन में परिस्थिति ने दिया है डाल ! याद आता तुम्हारा सिंदूर तिलकित भाल ! कौन है वह व्यक्ति जिसको चाहिए न समाज? कौन है वह एक जिसको नहीं पड़ता दूसरे से काज? चाहिए किसको नहीं सहयोग? चाहिए किसको नहीं सहवास? कौन चाहेगा कि उसका शून्य में टकराए यह उच्छवास? हो गया हूँ मैं … Read more

उनको प्रणाम ( Unko Pranam ) :नागार्जुन

जो नहीं हो सके पूर्ण-काम मैं उनको करता हूँ प्रणाम ! कुछ कुंठित औ’ कुछ लक्ष्य भ्रष्ट जिनके अभिमंत्रित तीर हुए ; रण की समाप्ति के पहले ही जो वीर रिक्त तूणीर हुए ! (1) प्रसंग — प्रस्तुत काव्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘समकालीन हिंदी कविता’ में संकलित नागार्जुन द्वारा रचित ‘उनको प्रणाम’ कविता से अवतरित … Read more

कबीरदास का साहित्यिक परिचय ( Kabirdas Ka Sahityik Parichay )

जीवन परिचय – महाकवि कबीरदास न केवल संतकाव्य धारा के अपितु संपूर्ण हिंदी साहित्य के महान कवि थे | यद्यपि वे निरक्षर थे तथापि उनकी अभिव्यक्ति क्षमता विलक्षण थी | कबीरदास जी की जन्म तिथि को लेकर विद्वानों में मतभेद है फिर भी अधिकांश विद्वान यह स्वीकार करते हैं कि इनका जन्म सन 1398 ईस्वी … Read more

आँसू ( Aansu ) : जयशंकर प्रसाद

इस करुणा कलित हृदय में अब विकल रागिनी बजती क्यों हाहाकार स्वरों में वेदना असीम गरजती? शीतल ज्वाला जलती है ईंधन होता दृग जल का यह व्यर्थ सांस चल-चलकर करती है काम अनिल का | (1) जो घनीभूत पीड़ा थी मस्तक में स्मृति-सी छायी दुर्दिन में आँसू बनकर वह आज बरसने आयी शशि मुख पर … Read more