रथ का टूटा पहिया ( Rath Ka Tuta Pahiya ) : डॉ धर्मवीर भारती

मैं रथ का टूटा हुआ पहिया हूँ | लेकिन मुझे फेंको मत | क्या जाने कब इस दुरूह चक्रव्यूह में अक्षौहिणी सेनाओं को चुनौती देता हुआ कोई दुस्साहसी अभिमन्यु आकर घिर जाये | अपने पक्ष को असत्य जानते हुए भी बड़े-बड़े महारथी अकेली निहत्थी आवाज को अपने ब्रह्मास्त्रों से कुचल देना चाहे तब मैं रथ … Read more

सूनी सी सांझ एक ( Sooni Si Sanjh Ek ) : अज्ञेय

सूनी सी सांझ एक दबे पांव मेरे कमरे में आई थी | मुझको भी वहां देख थोड़ा सकुचाई थी | तभी मेरे मन में यह बात आई थी कि ठीक है, यह अच्छी है, उदास है, पर सच्ची है : इसी की साँवली छाँव में कुछ देर रहूँगा इसी की साँस की लहर पर बहूँगा … Read more

हमारा देश ( Hamara Desh ) : अज्ञेय

इन्हीं तृण-फूस छप्पर से ढँके ढुलमुल गँवारू झोपड़ों में ही हमारा देश बसता है | इन्हीं के ढोल-मादल बांसुरी के उमगते स्वर में हमारी साधना का रस बरसता है | इन्हीं के मर्म को अनजान शहरों की ढँकी लोलुप विषैली वासना का सांप डँसता है | इन्हीं में लहरती अल्हड़ अयानी संस्कृती की दुर्दशा पर … Read more

नदी के द्वीप ( Nadi Ke Dvip ) : अज्ञेय

हम नदी के द्वीप हैं हम नहीं कहते कि हमको छोड़कर स्रोतस्विनी बह जाय | वह हमें आकार देती है | हमारे कोण, गलियां, अंतरीप, उभार, सैकत कूल, सब गोलाइयाँ उसकी गढ़ी हैं | माँ है वह | है, इसी से हम बने हैं | (1) प्रसंग — प्रस्तुत काव्यांश हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘समकालीन … Read more

कितनी नावों में कितनी बार ( Kitni Navon Mein Kitni Bar ) : अज्ञेय

कितनी दूरियों से कितनी बार कितनी डगमग नावों में बैठकर मैं तुम्हारीओर आया हूँ ओ मेरी छोटी-सी ज्योति ! कभी कुहासे में तुम्हें न देखता भी पर कुहासे की ही छोटी सी रुपहली झलमल में पहचानता हुआ तुम्हारा ही प्रभा-मंडल | कितनी बार मैं, धीर, आश्वस्त अक्लांत ओ मेरे अनबुझे सत्य ! कितनी बार…… (1) … Read more

यह दीप अकेला ( Yah Deep Akela ) : अज्ञेय

यह दीप, अकेला, स्नेह भरा है गर्व-भरा मदमाता, पर इसको भी पंक्ति को दे दो | यह जन है : गाता गीत जिन्हें फिर और कौन गायेगा? पनडुब्बा : यह मोती सच्चे फिर कौन कृती लायेगा? यह समिधा : ऐसी आग हठीली बिरला सुलगायेगा | यह अद्वितीय : यह मेरा, यह मैं स्वयं विसर्जित : … Read more

साँप ( Saanp ) : अज्ञेय

साँप ! तुम सभ्य तो हुए नहीं नगर में बसना भी तुम्हें नहीं आया | एक बात पूछूं ( उत्तर दोगे? ) तब कैसे सीखा डँसना – विष कहाँ से पाया? प्रसंग — प्रस्तुत कविता हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘समकालीन हिंदी कविता’ में संकलित अज्ञेय द्वारा रचित ‘साँप’ कविता से अवतरित है | प्रस्तुत कविता के … Read more

सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ का साहित्यिक परिचय ( Agyey Ka Sahityik Parichay )

जीवन परिचय – सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ हिंदी के प्रमुख साहित्यकार हैं | प्रयोगवाद के जनक के रूप में पहचाने जाने वाले अज्ञेय जी का जन्म उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में सन 1911 में हुआ | 1925 ईस्वी में इन्होंने मैट्रिक और 1929 ईस्वी में विज्ञान संकाय में स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की | ये … Read more

नाच ( Naach ) : अज्ञेय

एक तनी हुई रस्सी है जिस पर मैं नाचता हूँ | जिस तनी हुई रस्सी पर मैं नाचता हूँ | वह दो खंभों के बीच है | रस्सी पर मैं जो नाचता हूँ | वह एक खंभे से दूसरे खंबे तक का नाच है | दो खंभों के बीच जिस तनी हुई रस्सी पर मैं … Read more

उड़ चल, हारिल ( Ud Chal Haaril ) : अज्ञेय

उड़ चल, हारिल, लिये हाथ में यही अकेला ओछा तिनका उषा जाग उठी प्राची में -कैसी बाट भरोसा किनका ! शक्ति रहे तेरे हाथों में – छूट ना जाय यह चाह जीवन की ; शक्ति रहे तेरे हाथों में – रुक ना जाय यह गति जीवन की ! (1) ऊपर-ऊपर-ऊपर-ऊपर-बढा चीरता चल दिक् मण्डल, अनथक … Read more

जयशंकर प्रसाद का साहित्यिक परिचय ( Jaishankar Prasad Ka Sahityik Parichay )

जीवन परिचय – जयशंकर प्रसाद का जन्म सन 1889 में काशी में हुआ था | जयशंकर प्रसाद जी धनी परिवार से संबंध रखते थे | इनका बचपन बहुत खुशहाली से बीता | इनकी आरंभिक शिक्षा घर पर ही हुई परंतु वह केवल सातवीं कक्षा तक अपनी पढ़ाई जारी रख सके | जब वे 12 वर्ष … Read more

गीतिकाव्य : अर्थ, परिभाषा, प्रवृत्तियाँ /विशेषताएँ व स्वरूप ( Gitikavya : Arth, Paribhasha, Visheshtayen V Swaroop )

सामान्य शब्दों में गीतिकाव्य का अर्थ ( Geetikavya Ka Arth ) है – ‘गाया जा सकने वाला काव्य‘ परंतु प्रत्येक गाए जाने वाले काव्य को गीतिकाव्य नहीं कहा जा सकता | जिस गीत में तीव्र भावानुभूति, संगीतात्मकता, वैयक्तिकता आदि गुण होते हैं, उसे गीतिकाव्य कहते हैं | मानव सभ्यता में गीत की प्राचीन परंपरा है … Read more

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में भगत सिंह का योगदान ( Bhartiy Rashtriy Andolan Me Bhagat Singh Ka Yogdan )

भगत सिंह एक महान क्रांतिकारी तथा महान विचारक थे | भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनका अद्वितीय योगदान है | छोटी आयु में ही उन्होंने ऐसे महान कार्य किए कि विश्व की सबसे बड़ी साम्राज्यवादी शक्ति भयभीत हो गई | उन्होंने ‘नौजवान भारत सभा’ तथा ‘हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन’ जैसे क्रांतिकारी संगठनों की स्थापना की | … Read more

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का योगदान ( Bhartiy Rashtriy Andolan Me Subhash Chandra Bose Ka Yogdan )

नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक महान क्रांतिकारी तथा महान विचारक थे | उनके जीवन तथा उनकी उपलब्धियों का वर्णन इस प्रकार है : – प्रारंभिक जीवन सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा के कटक नामक स्थान पर हुआ | उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस तथा माता का नाम प्रभावती देवी … Read more

जागो फिर एक बार ( Jago Fir Ek Bar ) ( सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ): व्याख्या व प्रतिपाद्य

जागो फिर एक बार ( निराला ) : सप्रसंग व्याख्या जागो फिर एक बार ! समर में अमर कर प्राण, गान गाये महासिंधु-से, सिंधु-नद तीरवासी ! सेंधव सुरंगों पर चतुरंग-चमू-संग ; “सवा-सवा लाख पर एक को चढाऊंगा, गोविंद सिंह निज नाम जब कहाऊंगा |” किसी ने सुनाया यह वीर-जनमोहन, अति दुर्जय संग्राम-राग, फाग था खेला … Read more