पथ के साथी : साहित्य-रूप पर विचार ( Path Ke Sathi : Sahitya Roop Par Vichar )

हिंदी साहित्य में कुछ ऐसी विधाएँ भी हैं जो भिन्न होते हुए भी कुछ न कुछ समानताएं रखती हैं | हिंदी साहित्य में संस्मरण, रेखाचित्र व चरित्र-प्रधान कहानीयाँ ऐसी ही विधाएं हैं | प्रसिद्ध गद्य लेखिका व कवियत्री महादेवी वर्मा ( Mahadevi Verma ) ने ऐसी तीन रचनाएं लिखी हैं – स्मृति की रेखाएं, अतीत … Read more

भारत में प्रथम ( Bharat Mein Pratham )

🔹 स्वतंत्र भारत का प्रथम गवर्नर जनरल – लॉर्ड माउंटबेटन 🔹 स्वतंत्र भारत का प्रथम भारतीय गवर्नर-जनरल – सी राजगोपालाचार्य 🔹 आई सी एस की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाला प्रथम भारतीय – सत्येंद्र नाथ टैगोर ( 1863, रवीन्द्रनाथ टैगोर के भाई ) 🔹 स्वतंत्र भारत का प्रथम कमांडर इन चीफ़ – जनरल करिअप्पा 🔹 प्रथम … Read more

मैला आँचल : नायकत्व पर विचार ( Maila Aanchal : Nayaktv Par Vichar )

मैला आंचल ( Maila Aanchal ) फणीश्वर नाथ रेणु ( Fanishwarnath Renu ) द्वारा रचित एक प्रसिद्ध आंचलिक उपन्यास है | अनेक विद्वान मैला आंचल उपन्यास को न केवल आंचलिक उपन्यास धारा का सर्वश्रेष्ठ उपन्यास मानते हैं बल्कि संपूर्ण हिंदी साहित्य में इसे एक विशिष्ट स्थान प्रदान करते हैं | यही कारण है कि यह … Read more

‘मैला आँचल’ उपन्यास में निरूपित लोक संस्कृति ( Maila Aanchal Upanyas Mein Nirupit Lok Sanskriti )

मैला आंचल( Maila Aanchal ) फणीश्वर नाथ रेणु ( Fanishwarnath Renu ) द्वारा रचित एक प्रसिद्ध आंचलिक उपन्यास है | इस उपन्यास का प्रकाशन 1954 ईस्वी में हुआ | इसे हिंदी साहित्य का सर्वश्रेष्ठ आंचलिक उपन्यास माना जाता है | आंचलिक उपन्यास के मुख्य रूप से दो प्रधान लक्षण माने जाते हैं – 1. किसी … Read more

मैला आंचल में आंचलिकता ( Maila Aanchal Me Aanchlikta )

मैला आँचल ( Maila Aanchal ) फणीश्वरनाथ रेणु ( Fanishwarnath Renu ) द्वारा रचित हिंदी के प्रसिद्ध उपन्यासों में से एक है | यह उपन्यास 1954 ईo. में प्रकाशित हुआ | आंचलिक उपन्यासधारा में मैला आँचल को सर्वश्रेष्ठ उपन्यास माना जाता है | मैला आंचल ( Maila Aanchal ) की आंचलिकता पर विचार करने से … Read more

गोदान में ग्रामीण व नागरिक कथाओं का पारस्परिक संबंध ( Godan : Gramin V Nagrik Kathaon Ka Parasparik Sambandh )

गोदान ( Godan ) मुंशी प्रेमचंद जी की एक प्रौढ़ रचना है | इसमें मुंशी प्रेमचंद ( Premchand ) जी ने अपने युग का यथार्थ वर्णन किया है | प्रेमचंद कलम के सिपाही माने जाते हैं | वे अपनी लेखनी के माध्यम से ग्रामीण समस्याओं को सुलझा कर नारकीय जीवन जीने वाले ग्रामीणों को दुखों … Read more

गोदान में आदर्शोन्मुख यथार्थवाद ( Godan Mein Aadarshonmukh Yatharthvad )

हिंदी साहित्य में प्रेमचंद ( Premchand ) को उपन्यास सम्राट के नाम से जाना जाता है | गोदान ( Godan ) उनकी प्रौढ़ रचना मानी जाती है | यह उपन्यास सन 1936 में प्रकाशित हुआ | उनका यह उपन्यास सबसे अधिक आलोचना का विषय रहा |उनके कुछ उपन्यास ठेठ यथार्थवाद लिए हुए हैं लेकिन गोदान … Read more

गोदान में कृषक जीवन ( Godan Mein Krishak Jivan )

गोदान मुंशी प्रेमचंद जी का सर्वाधिक प्रसिद्ध उपन्यास है | गोदान ग्रामीण जीवन की कहानी है जिसका नायक होरी एक निर्धन किसान है | होरी की कथा वास्तव में तत्कालीन भारत के अनेक किसानों की दुखद कथा है | किसान अपने परिवार के साथ खेतों में जी तोड़ मेहनत करते हैं परंतु समाज के शोषक … Read more

गोदान का मूल भाव / उद्देश्य या समस्याएं ( Godan Ka Mool Bhav / Uddeshy Ya Samasyayen )

साहित्यकार जब किसी विषय पर लिखता है तो उसका कोई ना कोई उद्देश्य अवश्य होता है फिर उपन्यास तो साहित्य की एक ऐसी विधा है जो जीवन के विविध रंगों को हमारे सामने प्रस्तुत करती है | उपन्यास में जीवन की विभिन्न स्थितियों का वर्णन होता है | वे स्थितियां-परिस्थितियां अच्छी भी हो सकती हैं … Read more

देवनागरी लिपि की विशेषताएँ ( Devnagari Lipi Ki Visheshtayen )

हिंदी व संस्कृत की लिपि देवनागरी है | देवनागरी लिपि भारत की सर्वाधिक महत्वपूर्ण लिपि है | संविधान में इसे राज लिपि का पद प्राप्त है | हिंदी व संस्कृत का संपूर्ण साहित्य इसी लिपि में मिलता है | पालि, प्राकृत, अपभ्रंश आदि भाषाओं का साहित्य भी इसी लिपि में मिलता है | यह लिपि … Read more

आधुनिक भारतीय आर्य भाषाएं : एक परिचय ( Adhunik Bhartiy Arya Bhashayen : Ek Parichay )

अधिकांश विद्वान 1500 ईo पूo के काल को भारतीय आर्य भाषाओं का काल मानते हैं | तब से लेकर आज तक भारतीय आर्य भाषाओं की यात्रा लगभग 3500 वर्ष की हो चुकी है | अधिकांश विद्वान भारतीय आर्य भाषाओं के इस लंबे काल को तीन भागों में बांटते हैं :- प्राचीन भारतीय आर्य भाषा ( … Read more

मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाएं ( Madhyakalin Bhartiy Arya Bhashayen )

अधिकांश विद्वान 1500 ईo पूo के काल को भारतीय आर्य भाषाओं का काल मानते हैं | तब से लेकर आज तक भारतीय आर्य भाषा की यात्रा लगभग 3500 वर्ष की हो चुकी है | अधिकांश विद्वान भारतीय आर्य भाषा के इस लंबे काल को तीन भागों में बांटते हैं : प्राचीन भारतीय आर्य भाषा ( … Read more

प्राचीन भारतीय आर्य भाषाएं : परिचय एवं विशेषताएं/ Prachin Bhartiya Arya Bhashayen : Parichay Evam Visheshtayen

अधिकांश विद्वान 1500 ईस्वी पूर्व के आसपास के काल को भारतीय आर्य भाषा का काल मानते हैं | तब से लेकर आज तक भारतीय आर्य भाषा की यात्रा लगभग 3500 वर्ष की हो चुकी है | अधिकांश विद्वान भारतीय आर्य भाषा के इस लंबे काल को तीन भागों में बांटते हैं : – प्राचीन भारतीय … Read more

एरिक्सन का मनोसामाजिक सिद्धांत ( Erikson’s Psychosocial Development Theory

एरिक्सन के सिद्धांत के अनुसार पूरे जीवन में विकास के आठ चरण क्रमानुसार चलते रहते हैं | प्रत्येक चरण में एक विशिष्ट विकासात्मक मानक होता है जिसे पूरा करने में आने वाली समस्याओं का समाधान करना आवश्यक होता है | 🔹 एरिक्सन के अनुसार समस्या कोई संकट नहीं है बल्कि संवेदनशीलता और सामर्थ्य को बढ़ाने … Read more

मौर्य वंश ( Mauryan Dynasty )

मौर्य काल ( Mauryan Empire ) चंद्रगुप्त मौर्य ( Chandragupt Maurya ) ने 322 ई० पू० में नंद वंश के राजा घनानंद ( Ghananand ) को पराजित कर मगध पर अपनी सत्ता स्थापित की । इसके साथ ही नंद वंश का स्थान मौर्य वंश ने ले लिया । मौर्य वंश के राजाओं ने 322 ई० … Read more