मानक भाषा : अर्थ, परिभाषा और विशेषताएँ या लक्षण

मानक भाषा (Standard Language) किसी भाषा का वह परिनिष्ठित रूप है जिसे एक समुदाय, राज्य या राष्ट्र में संपर्क, शिक्षा, प्रशासन, साहित्य, विज्ञान, और अन्य औपचारिक क्षेत्रों में स्वीकार किया जाता है। इसका व्याकरण, शब्दावली, उच्चारण, और लेखन शैली निश्चित होते हैं, जिससे लिखने, पढ़ने, और बोलने में एकरूपता बनी रहती है। मानक भाषा को … Read more

राष्ट्रभाषा : अर्थ, परिभाषा और विशेषताएँ

राष्ट्र भाषा उस भाषा को कहते हैं जो किसी देश की सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान का प्रतीक होती है तथा संचार, प्रशासन और शिक्षा में व्यापक रूप से प्रयुक्त होती है। यह भाषा देश के नागरिकों को आपस में जोड़ने का कार्य करती है और राष्ट्रीय एकता को मजबूत बनाती है। परिभाषा — राष्ट्रभाषा की … Read more

सम्पर्क भाषा : अर्थ, परिभाषा और विशेषताएँ

संपर्क भाषा (Lingua Franca) वह भाषा होती है जो भिन्न-भिन्न मातृभाषा वाले लोगों के बीच आपसी संचार के लिए उपयोग की जाती है। यह भाषा किसी क्षेत्र, देश या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापार, शिक्षा, प्रशासन, या सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए प्रयुक्त हो सकती है। उदाहरण: हिंदी भारत में विभिन्न भाषाओं के बीच संपर्क भाषा है। … Read more

राजभाषा : अर्थ, परिभाषा और प्रकृति ( स्वरूप )

राजभाषा उस भाषा को कहते हैं जिसे किसी देश या राज्य में सरकारी कार्यों और प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए आधिकारिक रूप से अपनाया जाता है। यह Official Language का हिंदी पर्याय है | भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343(1) के अनुसार, देवनागरी लिपि में हिंदी को संघ की राजभाषा घोषित किया गया है। संविधान सभा ने … Read more

प्लेटो की काव्य संबंधी मान्यताएँ

प्लेटो (Plato) प्राचीन ग्रीस के महान दार्शनिक थे, जो सुकरात के शिष्य और अरस्तू के गुरु थे। वे पश्चिमी दर्शन के प्रमुख स्तंभों में से एक माने जाते हैं। उन्होंने कई दार्शनिक ग्रंथ लिखे, जिनमें “रिपब्लिक” (Republic), “फैड्रस” (Phaedrus), “आयोन” (Ion) और “पोएटिक्स” (Poetics, जिसे अरस्तू ने आगे बढ़ाया) प्रमुख हैं। प्लेटो की काव्य सम्बन्धी … Read more

सन्धि का अर्थ व प्रकार

दो निकटतम वर्णों के मेल से जो विकार ( परिवर्तन ) होता है, उसे सन्धि कहते हैं | जैसे — हिम + आलय = हिमालय | ( अ + आ = आ ) | सन्धि के भेद या प्रकार संधि के मुख्य रूप से तीन भेद हैं — (1) स्वर सन्धि, (2) व्यंजन सन्धि और … Read more

महत्त्वपूर्ण प्रश्न ( हिंदी भाषा एवं व्याकरण )

भाषा के विविध रूप / भेद / प्रकार ( Bhasha Ke Vividh Roop / Bhed / Prakar ) हिन्दी की प्रमुख बोलियाँ और उनका क्षेत्र व्याकरण : अर्थ, महत्त्व | देवनागरी लिपि की विशेषताएँ ( Devnagari Lipi Ki Visheshtayen ) देवनागरी लिपि का मानकीकरण उपसर्ग और प्रत्यय पर्यायवाची शब्द : अर्थ व उदाहरण विलोम शब्द … Read more

हिन्दी की प्रमुख बोलियाँ और उनका क्षेत्र

हिन्दी मुख्य रूप से उत्तर भारत में बोली जाती है | यह भाषा मुख्यतः हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार राज्यों में बोली जाती है | हिंदी को मुख्य रूप से पांच उपभाषाओं में बांटा जा सकता है : (1) पश्चिमी हिन्दी, (2) पूर्वी हिन्दी, (3) राजस्थानी, (4) … Read more

बूढ़ी काकी ( मुंशी प्रेमचंद )( Budhi Kaki : Premchand )

बुढ़ापा बहुधा बचपन का पुनरागमन हुआ करता है। बूढ़ी काकी में जिह्वा-स्वाद के सिवा और कोई चेष्टा शेष न थी और न अपने कष्टों की ओर आकर्षित करने का, रोने के अतिरिक्त कोई दूसरा सहारा ही। समस्त इन्द्रियाँ, नेत्र, हाथ और पैर जवाब दे चुके थे। पृथ्वी पर पड़ी रहतीं और घरवाले कोई बात उनकी … Read more

समास के भेद / प्रकार ( Samas Ke Bhed / Prakar )

समास ‘समास’ का शाब्दिक अर्थ है – संक्षेप | समाज की प्रक्रिया में शब्दों का संक्षेपीकरण किया जाता है | सामान्यतः दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से जो नया शब्द बनता है उसे समस्तपद कहते हैं तथा इस प्रक्रिया को समास कहते हैं | समास की प्रक्रिया में जब दो प्रमुख शब्दों … Read more

आधुनिक गद्य साहित्य B 23 – HIN- 301( प्रमुख प्रश्न )

यहाँ नई शिक्षा नीति के अंतर्गत कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा बी ए तृतीय सेमेस्टर के हिन्दी अनिवार्य विषय के पाठ्यक्रम से परीक्षापयोगी महत्वपूर्ण प्रश्न दिये गये हैं | व्याख्या (1) बूढ़ी काकी ( मुंशी प्रेमचंद )( Budhi Kaki : Premchand ) (2) पुरस्कार ( जयशंकर प्रसाद ) (3) फैसला ( मैत्रेयी पुष्पा ) (4) मलबे का … Read more

व्याकरणिक कोटियाँ : लिंग, वचन, पुरुष, कारक

व्याकरणिक कोटियाँ जब कोई शब्द वाक्य में प्रयुक्त होता है तो उसे कुछ व्याकरणिक बंधनों को स्वीकार करना पड़ता है ; जिन्हें व्याकरणिक कोटियाँ कहते हैं | जैसे — लिंग, वचन, पुरुष, कारक, काल आदि | लिंग ( Ling ) संज्ञा के जिस रूप से किसी वस्तु, व्यक्ति या प्राणी आदि की स्त्री या पुरुष … Read more

प्रेमचंद का साहित्यिक परिचय ( 1880 – 1936 ईo)

जीवन परिचय प्रेमचंद ( Premchand ) हिन्दी के प्रसिद्ध लेखक थे। उनका वास्तविक नाम धनपतराय था | उनका जन्म 31 जुलाई, 1880 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी के पास लमही गाँव में हुआ था। वे हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं में लिखते थे और उन्हें भारतीय साहित्य में उपन्यास सम्राट के रूप में जाना जाता … Read more

हजारी प्रसाद द्विवेदी ( 1907 – 1979 ईo)

जीवन परिचय हजारी प्रसाद द्विवेदी हिन्दी के प्रमुख साहित्यकार हैं | उनका जन्म 1907 ईस्वी में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के ‘आरत दुबे का छपरा’ नामक गाँव में हुआ था | उनकी आरंभिक शिक्षा बलिया में ही हुई | सन 1927 में उन्होंने दसवीं कक्षा उत्तीर्ण की | उन्होंने शांति निकेतन, काशी विश्वविद्यालय और … Read more

नाख़ून क्यों बढ़ते हैं : मुख्य उद्देश्य या संदेश

‘नाख़ून क्यों बढ़ते हैं’ हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा रचित एक प्रसिद्ध ललित निबंध है | यह निबंध उनके निबंध संग्रह ‘कल्पलता’ में संकलित है जो 1951 में प्रकशित हुआ था | ‘नाखून क्यों बढ़ते हैं’ निबंध मनुष्य की मनुष्यता व उसमें निहित पशुता पर विचार करता है। लेखक के अनुसार नाखुनों का बढ़ना मनुष्य की … Read more

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