यह फूल, मोमबत्तियां और टूटे सपने
ये पागल क्षण,
यह काम-काज दफ्तर-फाइल, उचाट-सा जी
भत्ता वेतन !
ये सब सच है !
इनमें से रत्ती भर न किसी से कोई कम,
अंधी गलियों में पथभ्रष्टों के गलत कदम
या चंदा की छाया में भर -भर आने वाली आंखें नम,
बच्चों की-सी दूधिया हँसी या मन की लहरों पर
उतराते हुए कफन !
ये सब सच है | (1)
जीवन है कुछ इतना विराट, इतना व्यापक
उसमें है सबके लिए जगह, सबका महत्व
ओ मेजों की कोरों पर माथा रख-रख कर रोने वाले
यह दर्द तुम्हारा नहीं सिर्फ, यह सबका है |
सबने पाया है प्यार, सभी ने खोया है
सबका जीवन है भार, और सब जीते हैं,
बेचैन न हो –
यह दर्द अभी कुछ गहरे और उतरता है,
फिर एक ज्योति मिल जाती है | (2)
ये सभी तार बन जाते हैं
कोई अनजान अंगुलियां इन पर तैर-तैर,
सब में संगीत जगा देती अपने-अपने
गुंथ जाते हैं ये सब एक मीठी लय में
यह काम-काज, संघर्ष, विरस कड़वी बातें,
ये फूल, मोमबत्तियां और टूटे सपने
यह दर्द विराट जिंदगी में होता परिणत
है तुम्हें निराशा फिर तुम पाओगे ताकत
उन अंगुलियों के आगे कर दो माथा नत
जिनके छू लेने भर से फूल सितारे बन जाते हैं मन के छाले ;
ओ मेजों की कोरों पर माथा रखकर रोने वाले –
हर एक दर्द को नए अर्थ तक जाने दो ! (3)
आभार | आप जैसे विद्वानों के कमेंट्स उत्साहित करते हैं |
श्रीमान जी कृप्या इसका उद्देश्य भी दें। धन्यवाद
श्रीमान जी कृप्या साथ में इसका उद्देश्य भी दें। धन्यवाद